आराम कीजिए। अक्सर ही यह शब्द कानों में पड़ते रहते हैं। जब किसी की तबियत बिगड़ती है तो सब की तरफ से यह एक शब्द सुनाई पड़ने लगता है, आराम कीजिए। आराम करिए कहकर हम कितनी सरलता से रोगी तक यह भाव संप्रेषित कर देते हैं। कभी थकान होती है तब भी हम कहते हैं थोड़ा आराम करेंगे। आराम करना कितना सरल है न, और कितना जरूरी भी। बच्चे खेल और पढ़ाई से थक कर आराम करते हैं, महिलाओं और पुरुषों को अपने कामों से थक कर आराम करना है। डॉक्टर अपने मरीज को आराम करने की सलाह देता है। कहने का तात्पर्य यह है कि आराम हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है ना कि किसी वर्ग विशेष के लिए।
अब बात यह उठती है कि आराम किया कैसे जाता है ? बस बिस्तर पर लेट जाने या सो जाने मात्र से आराम नहीं हो जाता। आराम वह सुंदर अवस्था है जिसे करने से आपका शरीर ऊर्जावान और आपकी त्वचा पर चमक आ जाती है। परंतु यह तब संभव होता है जब आप आराम करने का सही तरीका अपनाते हैं। योग में आराम करने के लिए कुछ आसन बताए गए हैं। किंतु मनुष्य की प्रकृति है कि उसे इंस्टेंट (त्वरित) परिवर्तन चाहिए होता है। आसन की बात की जाए तो कुछ लोगों का कहना होता है कि उनके पास समय नहीं है। और कुछ लोगों की तो उसमें रूचि ही नहीं होती।
आराम कीजिये वाले फॉर्मूले को सफल बनाने का सही तरीका यह है कि आप आराम से लेट जाएं, कपड़ों को ढीला कर लें, अपने पूरे शरीर पर से अपना कंट्रोल हटा दें। जिस प्रकार एक मुर्दे का शरीर पड़ा रहता है उसी प्रकार आपको भी अपने शरीर को ढीला छोड़ देना है। धीरे-धीरे अपना ध्यान अपनी सांसो पर ले जाएं। शांत मन से अपनी सांसों को महसूस करें। अपनी सांस लेने के तरीके (पैटर्न) पर ध्यान देना शुरू करें कि आपके सांस लेने की गति धीमी है या तेज है। इसके बाद लंबी गहरी सांसे लेना शुरू करें। यह प्रक्रिया आप तब तक दोहराएं जब तक आपका मन शांत नहीं हो जाता या आप सो नहीं जाते। इस प्रक्रिया को करते हुए सोने से आप एक अच्छी नींद ले सकते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल आपका दिमाग शांत होता है बल्कि सकारात्मक विचार भी आपके मन में आने लगते हैं। इस अवस्था से जीवन बोझिल नहीं, आनंददायक महसूस होने लगता है। जीवन में उत्साह का संचार होता है और इस उत्साह की मदद से आप स्वयं के ही जीवन में नहीं वरन दूसरों के जीवन में भी खुशियां ला सकते हैं। आपके मन की कोई बात हो जाए तो वह जीवन का सुख हो जाता है और मन के विपरीत कोई बात हो जाए तो वह जीवन का दुख बन जाता है। यह क्रिया निरंतर करने से आप सुख और दुख के भाव से अलग हो जाते हैं। आप जीवन में परिस्थितियों को अवसर के रूप में देखना प्रारंभ कर देते हैं। इसलिए आराम तो कीजिये लेकिन योग्य तरीका अपनाकर।