EC के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी ले रही कानूनी विशेषज्ञों से राय सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहले ही उठा चुके हैं इसपर सवाल
नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा रैलियों ,रोड शो और जन सभाओं पर प्रतिबंध लगा कर वर्चुअल प्रचार करने के आदेश को लेकर भाजपा छोड़ सभी राजनैतिक दल नाखुश हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी सहित कुछ अन्य दल अब कानूनी विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं कि चुनाव आयोग के इस फैसले को क्या अदालत में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक प्रतिबंध लगाया है।
समाजवादी पार्टी का तर्क है कि प्रतिबंध 15 जनवरी तक ही क्यों, सभी सात चरणों के मतदान तक प्रतिबंध क्यों नहीं। कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग के इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए आशंका व्यक्त की है कि आयोग ने भाजपा को मदद पहुंचाने के लिए यह फैसला किया है और फ़ैसले के तार गृहमंत्री अमित शाह से जुड़े हैं।
पार्टी के एक महासचिव ने दलील दी है कि भाजपा को सोशल मीडिया और समाचार टीवी चैनलों पर फ़र्ज़ी खबरें चलवाकर झूठा प्रचार कराने में महारथ हांसिल है। टेक फॉग के ज़रिये भाजपा का आई टी सेल जो कुछ कर रहा है वह किसी से छिपा नहीं है। इसी सोशल मीडिया के ज़रिये मोदी चुनाव जीतते आये हैं।
सूत्रों से मिली ख़बरों के अनुसार अडानी समूह ने कई वर्षों से एक आई टी केंद्र गुजरात और मुंबई में बना रखा है जहां पेशेवर इंजीनियर भाजपा के लिए प्रचार की सामिग्री तैयार कर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव यह सवाल पहले ही उठा चुके हैं कि सभी दलों को बराबरी का अवसर देने की व्यवस्था चुनाव आयोग सुनिश्चित करे।