नगालैंड मामले पर विपक्ष सदन में जोरदार हंगामा कर रहा है. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधिर रंजन चौधरी ने मामले को उठाया जिसपर स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि शांति बनाए रखें. मामले को लेकर गृह मंत्री अमित शाह सदन में बयान आज देंगे. इधर हंगामे के बीच राज्यसभा को 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया है.
विपक्षी सांसद नगालैंड मामले पर सरकार के बयान की मांग कर रहे थे, साथ ही इस पर विस्तृत रिपोर्ट वे चाहते हैं. नागालैंड मामले को लेकर इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कई वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की.
नगालैंड में हुई फायरिंग और एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों की मौत मामले पर सदन में चर्चा के लिए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और मणिकम टैगोर ने लोकसभा में आज सुबह ही स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया था. यही नहीं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी स्थगन प्रस्ताव नोटिस भेजा था.
अमित शाह देंगे बयान
नगालैंड के मोन जिलें में ग्रामीणों पर हुई फायरिंग और 14 की मौत मामले में गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को संसद के दोनों सदनों में अपना बयान पेश करेंगे जिस संबंध में आज लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी जानकारी दी. जब सदन में विपक्ष के सांसद हंगामा कर रहे थे तो ओम बिड़ला ने कहा कि मामले पर आज गृह मंत्री दोनों सदनों में अपना बयान देंगे.
बता दें कि मोन जिले में असम राइफल्स के जवानों पर ग्रामीणों को गलती से उग्रवादी समझकर गोलीबारी करने का आरोप लगा है. मामले को लेकर असम राइफल्स और राज्य सरकार की ओर से जांच बैठाने का काम किया गया है.
क्या था मोन का पूरा घटनाक्रम?
नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की आतंकवाद विरोधी अभियान में 14 ग्रामीणों की मौत और एक जवान के शहीद होने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है। नाराज प्रदर्शनकारियों ने असम रायफल्स के कैंप का घेराव किया और कैंप के अंदर घुस गए। साथ ही आगजनी की घटनाओं को भी अंजाम दिया। घटना के बाद से नागालैंड में तनाव की स्थिति है.
नागालैंड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत के बाद स्थानीय लोगों भड़क गए हैं। सुरक्षा बलों के आंतकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान ये घटना हुई। पुलिस ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि गोलीबारी की घटना संभवत: गलत पहचान के कारण हुई थी। इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई।
इस मामले की शुरूआत तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान मजदूर एक पिकअप वैन में सवार होकर घर लौट रहे थे। सेना के जवानों को उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी, और वो उग्रवादियों के इंतजार में मोर्चा संभाले बैठे थे। जिसके बाद गलतफहमी में सेना ने मजदूरों से भरी इस गाड़ी पर गोलीबारी कर दी। इस घटना में 6 लोगों की मौत हो गई।
पुलिस के अधिकारियों के अनुसार जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय लोग उनकी तलाश में निकले और घटना का पता चलते ही इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई। इसके बाद सैनिकों द्वारा की गई गोलीबारी में 7 और लोगों की जान चली गई
जिसके बाद स्थानीय लोग और भड़क गए और सेना के खिलाफ सड़कों पर उतर गए। इस दौरान उग्र विरोध और दंगों का दौर चलता रहा। गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स के कैंप पर धावा दिया। उनके कार्यालयों में तोड़फोड़ करने लगे। कैंप के कुछ हिस्सों में आग भी लगा दी। इसके बाद बचाव में सुरक्षा बलों की तरफ से की गई कार्रवाई में 1 और नागरिक की मौत हो गई। जबकि कई घायल हो गए।
इस घटना के बाद मोन जिले में नागालैंड सरकार ने मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। घटना के बाद सेना ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि नागरिकों की हत्या की “उच्चतम स्तर” पर जांच की जा रही है। सेना ने इस घटना की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का भी आदेश दे दिया है। वहीं राज्य सरकार ने भी आईजीपी नागालैंड की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। जो इस मामले की जांच करेगी।