प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई की सुबह नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया. इस मूर्ति की ऊंचाई 6.5 मीटर है और ये कांस्य की बनी हुई है. इस मूर्ति का वजन 6500 KG है. इसे न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग के सेंट्रल फ़ोयर के शीर्ष पर कास्ट किया गया है. प्रतीक को सपोर्ट देने करीब 6500 किलोग्राम वजन वाले स्टील के एक सपोर्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है.
अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। इस दौरान उन्होंने नई संसद के काम में लगे वर्कर्स से बातचीत भी की. पीएम के साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी भी मौजूद थे. राष्ट्रीय प्रतीक का स्कैच और कास्टिंग प्रोसेस क्ले मॉडलिंग/कंप्यूटर ग्राफिक से कांस्य कास्टिंग और पॉलिशिंग तक की तैयारी के आठ डिफरेंट स्टेज से गुजरा है.
नए संसद भवन का काम टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपा गया है. इसमें संसदीय कार्यवाही के दौरान 888 लोकसभा सदस्यों और 384 राज्यसभा सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी. लोकसभा कक्ष में 1272 लोगों के बैठने की अतिरिक्त क्षमता रखी जा रही है, ताकि दोनों सदनों की संयुक्त बैठक संभव हो सके.
नया संसद भवन 60000 स्क्वायर मीटर एरिया में बन रहा है. मास्टर प्लान के अनुसार, मौजूदा गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे यह नया तिकोना संसद भवन बन रहा है. नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक बिल्डिंग होगी. इसमें सेंट्रल हॉल नहीं बनाया जा रहा है.
नया भवन अत्याधुनिक और हर तरह की सुविधाओं से लैस होगा. इसमें ग्रीन टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जाएगा. नए संसद भवन के प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी. 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी.
अशोक स्तंभ है भारत का राष्ट्रीय प्रतीक
भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है. इसे अशोक स्तंभ भी कहा जाता है. मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं. इसके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं. इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं. एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस अशोक स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ बना हुआ है.
भारत राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को सरकार ने 26 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अंगीकृत किया. इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता. पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है. दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं. फलक के नीचे मुंडकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में लिखा गया है. सत्यमेव जयते का मतलब सत्य की ही विजय होती है.