गोहत्या के एक आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा को हिंदुओं का मूल अधिकार बनाया जाना चाहिए. जस्टिस शेखर यादव की बेंच ने ये टिप्पणियां गोकशी के एक आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कीं. उन्होंने कहा कि गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को भी दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाया जाना चाहिए.
जमानत अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एसके पाल और एजीए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया. याची पर साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर जंगल में अन्य गायों सहित मारकर मांस इकट्ठा करते टार्च की रोशनी में देखें जाने का आरोप है. 8 मार्च 21 से जेल में बंद हैं. शिकायतकर्ता ने गाय के कटे सिर से पहचान की. आरोपी मोटरसाइकिल छोड़ कर भाग गए.
कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं. यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है. आस्था पर चोट से देश कमजोर होता है. कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता. बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है. इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं. यह भारतीय कृषि की रीढ़ है.
कोट्र ने कहा कि गोरक्षा का कार्य केवल एक धर्म या संप्रदाय का नहीं है. गाय भारत की संस्कृति है और इसे बचाने का काम देश के हर नागरिक का है. इसमें धर्म कहीं आड़े नहीं आता. गाय की रक्षा हर धर्म के व्यक्ति को करनी चाहिए. कोट ने इसी के साथ कहा कि गाय को नुकसान पहुंचाने या हत्या करने वाले को दंडित करना जरूरी है. ऐसा काम करने वाला एक वर्ग विशेष की ही नहीं पूरे देश की भावनाओं को आहत करता है.
कोर्ट ने कहा कि गाय तब भी उपयोगी है जब वह बूढ़ी और बीमार है, उसका गोबर और मूत्र खेती करने, दवाओं को बनाने में बहुत उपयोगी है. सबसे बड़ी बात यह है कि लोग गाय को मां की तरह पूजते हैं, भले ही वह बूढ़ी और बीमार हो जाए। किसी को भी उसे मारने का हक नहीं है.
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार को भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए संसद में विधेयक लाना चाहिए. जो लोग गायों को नुकसान पहुंचाने की बात करते हैं उनके खिलाफ कड़े कानून लाने चाहिए. उनके खिलाफ भी कड़े कानून बनने चाहिए जो गोशाला वगैरह बनवाकर गोरक्षा का ढोंग तो करते हैं लेकिन उनका मकसद गोरक्षा नहीं बल्कि उसके नाम पर पैसा बनाना होता है.
हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ हिंदू गाय की अहमियत नहीं समझते, मुस्लिमों ने भी अपने शासन के दौरान भारतीय संस्कृति में गाय की अहमियत को समझा. 5 मुस्लिम शासकों के राज में भी गोकशी प्रतिबंधित थी. कोर्ट ने कहा कि बाबर, हुमायूं और अकबर ने अपने त्योहारों में भी गाय की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगाया था. मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोकशी को दंडनीय अपराध घोषित किया था.
इलाहबाद हाई कोर्ट की गाय पर की गई टिप्पणी पर उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “उच्च न्यायालय ने गौ माता के सम्बंध में दिये गए सुझाव का स्वागत करते हैं.