पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। इसके अनुसार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की साजिश रची थी। 12 जुलाई को उनकी पटना रैली में विस्फोट की तैयारी की थी।
इसके लिए पीएफआई का टेरर मॉड्यूल खतरनाक हथियारों और विस्फोटकों जुटाने में लगा हुआ था। पीएम मोदी की रैली पर हमला करने के लिए ट्रेनिंग कैंप तक का आयोजन हुआ था। प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, पीएफआई ने यूपी में भी संवेदनशील जगहों और हस्तियों पर एक साथ हमले की तैयारी थी। गौरतलब है कि इससे पहले भी 2013 में पीएम मोदी की रैली में पटना के गांधी मैदान में हमला हुआ था.
दरअसल पिछले गुरुवार 13 सितंबर को NIA ने टेरर फंडिंग को लेकर उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक सहित 13 राज्यों में छापेमारी की थी, जिनके साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भी एक टीम मौजूद थी।
इसी छापेमारी के दौरान ED ने केरल से PFI के सदस्य शफीक पायेथ गिरफ्तार किया था, जिसने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सामने सनसनीखेज दावा किया है। शफीक पायेथ ने NIA से बताया है कि इस साल 12 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी के पटना दौरे के दौरान हमला करने की साजिश थी, जिसके लिए ट्रैनिंग कैंप भी लगाया गया था।
खास बात यह है कि जुलाई के महीने में भी बिहार में पटना से पीएफआई के संदिग्धों की गिरफ्तारी की गई थी। उस समय उनसे बरामद दस्तावेजों में ‘इंडिया 2047‘ नाम से पीअफआई की बुकलेट भी थी। जिसमें भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का ‘आतंकी ब्लूप्रिंट‘ था। उस समय भी यह बात सामने आई थी कि पीएफआई अपने नापाक मंसूबों के लिए जगह जगह ट्रेनिंग कैंप भी लगा रही है। हालांकि तब बिहार पुलिस ने इस मामले को उतनी गंभीरता के साथ नहीं लिया था। पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने तो पीएफआई के ट्रेनिंग कैंपों की तुलना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की शाखाओं से कर दी थी। इसके बाद जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने सफाई दी थी।
संगठन के खिलाफ पूरे देश में हुई कार्रवाई
पीएफआई ने पिछले कुछ सालों में 120 करोड़ रुपये सिर्फ इसलिए जुटाए हैं कि वह दंगों और देशभर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सके। इस फंड में ज्यादातर हिस्सा कैश में है। ईडी के पास इसका पूरा डिटेल है।
PFI आतंकी संगठन के खिलाफ पूरे देश में कार्रवाई की गई .एनआईए ने 11 राज्यों में छापे मारकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष समेत कई लोगों को हिरासत में लिया था। पूरे देश भर में 106 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इस ऑपरेशन के लिए गृह मंत्रालय में कमांड सेंटर बनाया गया था। 6 कंट्रोल रूम के जरिए इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी की गई। यह पूरा ऑपरेशन सुबह 1 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक चला। इस दौरान एनआईए के सभी बड़े अधिकारी मौजूद थे।
गुप्त रखी गई थी पूरी कार्रवाई
छापेमारी की इस पूरी कार्रवाई को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था। इस पूरे ऑपरेशन में एनआईए के 200 स्टाफ शामिल थे। इसका कमांड कंट्रोल सेंटर गृह मंत्रालय में था। पीएफआई से जुड़े संदिग्धों के सभी डोजियर छापे वाली टीम को दिए गए। सभी संदिग्धों की रेकी पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से की जा रही थी। छापे में 200 से अधिक मोबाइल, 100 से अधिक लैपटॉप जब्त किए गए। इसके साथ ही कई आपत्तिजनक दस्तावेज, विजन दस्तावेज, नामांकन फॉर्म, बैंक डिटेल्स भी जब्त किए गए हैं।