बॉम्बे हाई कोर्ट ने 1996 के बाल हत्याकांड की आरोपी सीमा और रेणुका की फांसी रद्द कर दी है. कोर्ट ने इस जघन्य अपराध के लिए कोल्हापुर की रेणुका शिंदे (Renuka Shinde) और सीमा गावित (Seema Gavit) की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया है.
इन दोनों पर आरोप है कि ये मासूम बच्चों की किडनैपिंग कर उनसे अपराध करवाती थीं, उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती थीं और मकसद पूरा हो जाने पर उनकी बेरहमी से हत्या कर देती थीं. इनकी मां अंजनीबाई गवित भी इस केस में आरोपी थी. हालांकि, पकड़े जाने के एक साल बाद ही उसकी मौत हो गई थी, जबकि दोनों बहनों को साल 2001 में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.
नौ बच्चों की हत्या के मामले में सुनाई गई फांसी की सजा को उम्र कैद में बदला गया है. फांसी देने में देरी होने पर सवाल करते हुए दोनों बहनों ने फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की अपील की थी. इसे मानते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने दोनों के लिए उम्र कैद की सजा सुना दी.
रेणुका शिंदे और सीमा गावित ने 1995-96 में 13 बच्चों का अपहरण किया था. उन 13 में से 9 बच्चों का क्रूरता से कत्ल कर दिया था. इसके बाद दोनों बहनों को सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी. साल 2001 में सत्र न्यायालय ने सीमा गावित और रेणुका शिंदे को फांसी की सजा सुनाई थी.
उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी सत्र न्यायालय के फैसले को सही ठहराया था. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी फांसी पर माफी ना देते हुए सजा दिए जाने के आदेश पर मुहर लगाया था. लेकिन फांसी की सजा देने के फैसले के बाद इसे अमल में लाने में हो रही देरी की वजह से दोनों बहनें कोर्ट चली गईं. इस पर मुंबई उच्च न्यायालय ने अब फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया.
1996 में गिरफ्तार होने के बाद पिछले 25 सालों से ये दोनों जेल में हैं. राज्य सरकार की ओर से यह मांग की गई थी कि गुनाहों की गंभीरता को देखते हुए फांसी की सजा को माफ तो किया जाए लेकिन इसके बावजूद और किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाए. यानी इन दोनों को मृत्यु तक उम्र कैद की सजा दी जाए.
125 आपराधिक मामले थे दर्ज
मां और बेटियों पर करीब 125 आपराधिक मामले दर्ज थे. इसमें छोटी-मोटी चोरी, पॉकेट मारना, चेन स्नेचिंग, भीड़भाड़ वाले इलाकों में चोरी जैसी घटनाएं शामिल थीं. लेकिन ये इन महिलाओं की खौफनाक कहानी का बहुत छोटा सा हिस्सा था. 90 के दशक में इन्होंने चोरी से हत्या की दुनिया में कदम रखा. तब बड़ी बेटी रेणुका की उम्र 17 साल और छोटी बेटी सीमा की उम्र 15 साल थी, जब इन्होंने अपनी मां के साथ मिलकर पहले बच्चे की हत्या की थी.
दरअसल, अंजनीबाई को उसके पति ने छोड़ दूसरी महिला से शादी कर ली. इसके बाद रुपए कमाने के लिए अंजनीबाई ने अपराध की दुनिया में कदम रखा. इसमें उसने दोनों बेटियों और बड़ी बेटी रेणुका के पति किरण को भी शामिल कर लिया. रेणुका का एक बेटा भी था. एक दिन उसने मंदिर में चोरी की और जब पकड़ी गई तो बेटे को आगे कर उसपर सारा इल्जाम डाल दिया. लोगों ने रहम कर बेटे और मां को छोड़ दिया. यहीं से रेणुका और उसकी मां-बहन को बच्चों के सहारे अपराध करने का आइडिया मिला.