झारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस ले लिया. केंद्र के मुताबिक, यह अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधि पर पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया है कि पर्यटन, इको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी गई है. उन्होंने ये भी बताया कि पारसनाथ क्षेत्र में शराब, तेज आवाज में गाने और मांस की बिक्री पर भी पाबंदी लगाई जा रही है.
इसके अलावा पारसनाथ मामले में केंद्र सरकार ने एक निगरानी समिति भी बनाई है. यह समिति इको सेंसिटिव जोन की निगरानी करेगी. केंद्र ने राज्य को निर्देश दिया है कि इस समिति में जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को स्थायी रूप से शामिल किया जाए. 2019 की अधिसूचना पर राज्य कार्रवाई करे. 2019 अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगे. पर्यटन, इको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक लगे. झारखंड सरकार तत्काल आवश्यक कदम उठाए.
जैन समाज ने जताया पीएम मोदी का आभार
फैसले के बाद जैन समाज ने कहा कि संपूर्ण जैन समाज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त करता है की जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर जी से संबंधित सभी भ्रांतियों का सुखद निराकरण हो गया है. अब कोई आंदोलन की जरूरत नहीं है हमारी सभी मांग पूरी मान ली गई है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल साल 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को ईको पर्यटन स्थल घोषित करने का एलान किया था. इसकी सिफारिश झारखंड सरकार की तरफ से की गई थी. जिसके बाद फरवरी 2022 में राज्य सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी और सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया. इस दौरान पर्यटन स्थल के आसपास शराब और मांस की दुकाने खोलने की भी इजाजत दे दी गई, जिसके बाद पूरा विवाद शुरू हुआ और जैन समाज ने आंदोलन खड़ा कर दिया. बता दें कि सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का एक पवित्र स्थल है.
इन गतिविधियों पर लगी पाबंदी
शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री
तेज संगीत या लाउडस्पीकर बजाना
पालतू जानवरों के साथ आना
अनधिकृत कैम्पिंग और ट्रैकिंग
मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री
इसके अलावा उन सारी एक्टिविटीजी पर रोक रहेगी, जिनसे जल स्रोत, पौधे, चट्टानों, गुफाओं और मंदिरों को नुकसान पहुंचता हो
समुदाय इसलिए कर रहा था विरोध
इस मसले पर सम्मेद शिखर में विराजित मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा कि सम्मेद शिखर इको टूरिज्म नहीं, इको तीर्थ होना चाहिए. सरकार पूरी परिक्रमा के क्षेत्र और इसके 5 किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र को पवित्र स्थल घोषित करे, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे. जैन समाज को आशंका है कि पर्यटन स्थल बनने के बाद यहां मांस-मदिरा आदि बिकने लगेगी, यह समाज की भावना-मान्यता के खिलाफ है.