मुंबई। गोवा मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानी आज 23 साल बाद भी अपने घरों का इंतजार कर रहे है. राज्य सरकार के खजाने में 16 लाख रुपये जमा करने के दो दशक बाद भी उन्हें मकान के लिए जमीन का प्लॉट नहीं मिल पाया है। सरकार द्वारा अनुबंधित भूखंड सीआरजेड द्वारा बाधित बताया जा रहा है। पिछले 23 वर्षों में राज्य के चार मुख्यमंत्रियों ने स्वतंत्रता सेनानियों को भूखंड देने का वादा किया, लेकिन इन स्वतंत्रता सेनानियों के हाथों में कुछ भी नहीं आया है। आज नब्बे के दशक के स्वतंत्रता सेनानी सवाल कर रहे हैं कि क्या उन्हें अपने जीवनकाल में कम से कम जमीन का एक भूखंड मिलेगा।
गौरतलब हो कि पुर्तगाली कब्जे वाले गोवा को मुक्त कराने के लिए ‘गोवा मुक्ति आंदोलन’ की स्थापना की गई थी। महाराष्ट्र के कई युवाओं ने इस आंदोलन में भाग लिया था। इस आंदोलन में शामिल कुछ स्वतंत्रता सेनानियों ने 1996 से पहले महाराष्ट्र सरकार से घर के लिए मुंबई में भूमि का एक भूखंड प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। इसके लिए गोवा मुक्ति स्वातंत्र्यसैनिक हाउसिंग सोसाइटी की स्थापना भी की गई। इस मुक्ति युद्ध में भाग लेने वाले 17 स्वतंत्रता सेनानी थे। तत्कालीन सरकार ने अंधेरी के वर्सोवा क्षेत्र में 1035 वर्ग मीटर के एक भूखंड को मंजूरी दी। 1998 में सरकार और संगठन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस बीच स्वतंत्रता सेनानियों ने इस भूमि के लिए सरकारी खजाने में 15 लाख 75 हजार 950 रुपये जमा किए। बाद में सरकार ने बताया कि सीआरजेड नियमों के कारण भूमि पर निर्माण संभव नहीं था. इसके बाद स्वतंत्रता सेनानियों ने मांग की थी कि हमें कहीं और प्लॉट दिए जाएं। इस बीच चार मुख्यमंत्री बदल गए हैं। स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रत्येक मुख्यमंत्री से मुलाकात की और भूमि नहीं मिलने पर अपनी शिकायतें व्यक्त कीं, लेकिन प्रत्येक मुख्यमंत्री ने सिर्फ आश्वासन का झुनझुना दिखाया। जिला कलेक्टर ने सरकार को संगठन के लिए अलग-अलग स्थानों में जमीन के चार भूखंड देने की सिफारिश की थी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ है। इस संदर्भ में स्वतंत्रता सेनानियों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस मुद्दे पर ध्यान देने और भूमि प्राप्त करने का अनुरोध किया है।
पांच सदस्यों की मौत
इस संगठन के 17 सदस्यों में से पांच की मौत हो गई है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इन्हे कई बार सम्मानित भी किया गया, लेकिन राज्य सरकार से जमीन का भूखंड आज तक नहीं मिला है. स्वतंत्रता सेनानियों ने अफसोस जताते हुए कहा कि उम्मीद है कि उन्हें अपने जीवनकाल में भूमि पर घर प्राप्त हो जाएगा।