महाराष्ट्र (Maharashtra) के गढ़चिरौली जिले में शनिवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ (Gadchiroli encounter) में चार नक्सली मारे गए हैं. इस मुठभेड़ में महाराष्ट्र पुलिस (Police) के C-60 कमांडर शामिल थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि मुंबई से 920 किलोमीटर दूर जिले के ग्यारहबत्ती जंगलों के धनोरा में शनिवार सुबह पुलिस की टीम के तलाशी अभियान के दौरान मुठभेड़ हुई. अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक सूचना के अनुसार नक्सलियों ने पुलिस कर्मियों पर गोलीबारी की, जिसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की. उन्होंने कहा, ‘अब तक हमें सूचना मिली है कि चार नक्सली मारे गए हैं.’ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ अब भी जारी है.
कुछ दिन पहले यहां से पुलिस ने 2 लाख के इनामी नक्सली मंगारु मांडवी को गिरफ्तार किया था. नक्सली मंगारु पर हत्या और पुलिस पर हमला करने के कई केस दर्ज हैं.
जानिए C-60 कमांडोज के बारे में
नक्सलियों के काल C-60 कमांडोज, गढ़चिरौली का एक जाना पहचाना यूनिट है जिसका गठन ही नक्सलियों के खिलाफ एक्शन के लिए किया गया था. इनका रिक्रूटमेंट भी नक्सली क्षेत्रों से होता है. इनकी क्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नक्सली इस फोर्स से सीधी लड़ाई कर ही नहीं सकते. जहां नक्सलियों को सी 60 बल के जवानों के होने का पता लगता है वे उस स्थान से भाग जाते हैं.
केपी रघुवंशी ने C-60 की स्थापना की
गढ़चिरौली जिले की स्थापना के बाद से ही पूरे क्षेत्र में नक्सली गतिविधियां बढ़ गई थी. इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक केपी रघुवंशी ने 1 दिसंबर 1990 को सी 60 की स्थापना की. केपी रघुवंशी 26/11 के हमलों के दौरान हेमंत करकरे के निधन के बाद एटीएस चीफ बने थे. केपी रघुवंशी ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र से ही 60 कमांडोज को भर्ती किया. यह पहला बैच था.
उन्होंने इन्हीं क्षेत्रों से कमांडो भर्ती इसलिए किए क्योंकि नक्सलियों ने भी यहीं इसी क्षेत्र से अपनी टीम बनाई थी जो कहर ढा रहे थे. एक ही क्षेत्र से होने की वजह से C-60 को नक्सलियों की गतिविधियां, उनकी चाल को समझने में आसानी हुई. C-60 अब नक्सलियों पर नकेल कसने लगा. उस वक्त सी 60 में सिर्फ 60 विशेष कमांडो की भर्ती हुई थी. जिससे इसे यह नाम मिला. नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए गढ़चिरौली जिले को दो भागों में बांटा गया. पहला उत्तर विभाग, दूसरा दक्षिण विभाग.
इन कमांडो को विषम परिस्थितियों में जूझने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. इनका दिन-रात किसी भी समय कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. इनकी ट्रेनिंग राज्य के बाहर भी होती है. सी-60 घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों जैसे कठिन युद्ध के मैदानों में युद्ध के लिए योग्य है.
कमांडो को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड परिसर, मानेसर, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, हजारीबाग, जंगल वारफेयर कॉलेज, कांकेर और अपरंपरागत ऑपरेशन प्रशिक्षण केंद्र, नागपुर सहित देश के विशिष्ट संस्थानों में प्रशिक्षित किया जाता है.