राज्यपाल द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारी की नियुक्ति निरस्त किये बिना मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री पर बोला हमला
● कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त करने का अधिकार राज्यपाल को होने की राजभवन सचिवालय की ‘धारणा’
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले की अवहेलना करते हुए एक सेवानिवृत्त निजी सचिव उल्हास मुनगेकर को अवैध रूप से निजी सचिव पद पर सेवानिवृत्ति के बाद पुनः नियुक्त किया है। राज्यपाल के निजी सचिव का पद नियमित होता है और वर्ष 2016 के सरकारी आदेशानुसार इस पद पर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्ति संभव नहीं है। जिसका भांडाफोड़ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किया हैं। राजभवन में हुई कॉन्ट्रॅक्ट पर हुई इस अवैध नियुक्ती भंडाफोड़ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा करते ही अब उस नियुक्ति को निरस्त करने के बजाय राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोल दिया हैं। कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त करने का अधिकार राज्यपाल को होने की राजभवन सचिवालय की ‘धारणा’ हैं।
◆ क्या हैं मामला?
राज्यपाल के प्रधान सचिव संतोष कुमार ने 28 मई 2021 को महाराष्ट्र सरकार के प्रमुख सचिव और मुख्य शिष्टाचार अधिकारी को पत्र भेजा। इस पत्र में राज्यपाल के निजी सचिव उल्हास मुनगेकर को विशेष मामले के रूप में दिनांक 17/12/2016 के सरकारी आदेश के विपरीत राहत दिलाने का अनुरोध किया गया था।
◆ सरकार ने अनुमति नहीं दी
सतीश जोंधले, संयुक्त सचिव, सामान्य प्रशासन ने 16 जून, 2021 को इस अनुरोध का उत्तर दिया कि सामान्य प्रशासन विभाग दिनांक 17/12/2016 की कार्य प्रक्रिया को लागू करके आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए राज्यपाल के प्रधान सचिव संतोष कुमार ने मुनगेकर को 20 जुलाई 2021 को एक वर्ष की अवधि के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त किया।
◆ नियमों का उल्लंघन
इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार ने राज्यपाल सचिवालय को 3 चिठ्ठी लिखी हैं। पहली चिठ्ठी 5 अक्टूबर 2020, दूसरी चिठ्ठी 6 नवंबर 2021 और तीसरी चिठ्ठी 29 दिसंबर 2021 को लिखी हैं। सरकार ने साफ किया हैं कि नियुक्ति सरकारी निर्णय के तहत नही होने बात दिखाई दे रही हैं। सरकारी निर्णय के तहत कार्रवाई कर सरकार को रिपोर्ट पेश की जाए। इसतरह 3 बार पत्र भेजने के बाद भी राज्यपाल सचिवालय कार्रवाई तो दूर की बात जबाब देने से कतरा रहा हैं।
● क्या कहता हैं नियम?
शासनादेश दिनांक 17/12/2016 के अनुसार विशिष्ट पदों पर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्ति की जा सकती है परन्तु नियमित पदों पर कॉन्ट्रैक्ट पद्धति का नियम लागू नहीं होता।
◆ नियुक्तियां करने का अधिकार राजभवन सचिवालय को होने की धारणा
अनिल गलगली दो बार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भेजकर लिखकर मांग की थी कि कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त मुंगेकर को तत्काल निरस्त कर निजी सचिव जैसे नियमित पद को न्याय दिया जाए। राज्यपाल के निजी सचिव का पद नियमित है तथा शासनादेश 2016 के अनुसार इस पद पर नियम के आधार पर नियुक्ति संभव नहीं है। राज्यपाल के प्रधान सचिव ने जवाब देने के बजाय अवर सचिव जयराज चौधरी को जवाब देने की सूचना दी। इस पत्र में राजभवन सचिवालय का दावा है कि राज्यपाल आसानी से अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम होना चाहिए। कार्यालय ने यह भी माना कि राज्यपाल को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर अधिकारियों का चयन करने का अधिकार है, जैसे कि माननीय मुख्यमंत्री, माननीय उप मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री और राज्य मंत्री अपने कार्यालय से संबंधित विशिष्ट कार्यों के लिए। अन्य राज्यों में, राज्यपाल/मुख्यमंत्री के निजी अधिकारी और राष्ट्रपति भवन, राज्य सभा, लोकसभा, विधानमंडल आदि जैसे संवैधानिक निकायों के अधिकारियों को भी सेवानिवृत्ति पर उसी पद पर कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त किया जाता है।
अनिल गलगली ने इस जवाब को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि धारणा पर नियम-कानून कब से लागू हो गए? आम जनता से अपेक्षा की जाती है कि वह राजभवन सचिवालय द्वारा नियुक्ति के विषय को भावनात्मक बनाने के बजाय कानून के ढांचे के भीतर काम करके लिखित घटना का समर्थन करेगी।