केंद्र सरकार ने इस साल 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 16 को पद्म भूषण और 118 लोगों को पद्म श्री सम्मान देने का ऐलान किया है. लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ को भी जगह मिली है.
लावारिस लाशों (unclaimed dead bodies) के मसीहा के नाम से मशहूर मुहम्मद शरीफ (muhammad sharif) को सोमवार को पद्मश्री (padma shri) सम्मान से नवाजा गया है. राष्ट्रपति भवन में उनको राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया.
आइए जानते हैं आखिर कौन हैं मोहम्मद शरीर जिन्हें केंद्र सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है.
मोहम्मद शरीफ अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले हैं. शरीफ ने करीब 25 सालों से लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई है. आस-पास के लोग उन्हें शरीफ चाचा कहकर बुलाता हैं.

5 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके समाजसेवी मुहम्मद शरीफ वह शख्स हैं जो अपने बेटे का अंतिम संस्कार नहीं कर सके थे. इससे आहत होकर ये तय किया कि अब कोई हिन्दू हो या मुसलमान किसी की भी लाश लावारिस नहीं रहेगी. सबका अंतिम संस्कार वो करेंगे. उसके बाद से वो 3 हजार हिन्दू और 2 हजार से ज्यादा मुस्लिम लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.
अपने बेटे की हत्या के बाद अंतिम संस्कार नहीं कर पाए शरीफ अपने इस पुण्य कार्य में धर्म को भी दीवार नहीं बनने देते हैं. उन्होंने बताया, ’27 साल पहले सुल्तानपुर में मेरे बेटे की हत्या हो गई थी. मुझे उसके दुनिया में न रहने की खबर एक महीने बाद मिली थी. काफी ढूंढने पर भी परिजनों को उसका शव नहीं मिल पाया. इसके बाद मैंने लावारिश लाशों को ढूंढ-ढूंढ कर उनके अंतिम संस्कार का काम शुरू कर दिया. अब तक मैंने करीब 3 हजार हिंदुओं और ढाई हजार से ज्यादा मुस्लिमों का अंतिम संस्कार किया है.’
मोहम्मद शरीफ का कहना है कि उन्होंने धर्म के आधार पर कभी शवों के संस्कार में भेदभाव नहीं किया है. मृतक व्यक्ति के धर्म को ध्यान में रखते हुए ही उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. अगर मृतक मुस्लिम है तो उसे दफनाया जाता है और अगर वह हिंदू है तो उसे मुखाग्नि दी जाती है.
मुहम्मद शरीफ ने बताया कि पद्मश्री मिलने से वो बहुत खुश हैं. उनके काम को लोगों द्वारा सराहा गया और सरकार के द्वारा उनका सम्मान किया गया. इस से उनका मनोबल और बढ़ गया है. वो इसी तरह से आगे भी काम को करते रहेंगे.
शरीफ चाचा ने बताया कि उनको इसके लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलती है. वो जनता से ही पैसा इकट्ठा करके लोगों का अंतिम संस्कार करते हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे, लेकिन फिर बाद में लोग उनको सम्मान देने लगे. इतना बड़ा सम्मान मिला है जिसके लिए सबका आभार है.
मुहम्मद शरीफ ने बताया की प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से कल मुलाकात हुई और बात भी हुई. इतने बड़े लोगों से कभी मुलाकात होगी सोचा नहीं था. प्रधानमंत्री से हमने इस काम में सरकार के द्वारा मदद और अपने लिए घर की मांग भी की है, जिसके लिए उनकी तरफ से हमें आश्वासन मिला है कि सरकार के द्वारा उनकी मदद की जायेगी.