संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के पहले दिन ही संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा (Lok Sabha) में कृषि कानून वापसी बिल पास कर दिया गया. इससे पहले लोकसभा में भी यह बिल पास हो चुका है. इस तरह शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन संसद के दोनों सदनों से तीनों कृषि कानून वापसी बिल पारित हो गया है जिनके विरोध में पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन हो रहा है. अब इसमें राष्ट्रपति की मुहर लगनी बाकी है.
कृषि कानून (Farm Law Repeal Bill) वापसी बिल को पहले लोकसभा में 12 बजे पेश किया गया, जिसे बिना चर्चा के चार मिनट के भीतर पास कर दिया गया. वहीं, विपक्ष चर्चा को लेकर इस पर अड़ा रहा. इसके बाद सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. लोकसभा के बाद दोपहर 2 बजे राज्यसभा में बिल पेश किया गया, वहां भी कुछ ही मिनट में इसे पास कर दिया गया. कृषि कानून वापसी बिल के अलावा इस सत्र में सरकार 36 बिल लेकर आ रही है.
सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे के साथ शुरू हुआ. इसके बावजूद सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा से तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने का विधेयक पारित करा लिया है. हालांकि ऐसा विपक्ष की नारेबाजी के बिना नहीं हो सका. हंगामे के बीच दोनों सदनों में ध्वनिमत से विधेयक पारित कराए गए.
इन कानूनों की वापसी के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या किसान आंदोलनकारी अब घरों को लौट जाएंगे या फिर अब भी डटे रहेंगे. हालांकि राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं ने तत्काल वापसी की बात से इनकार किया है. राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मुख्य मांग एमएसपी कानून है. उस पर सरकार कोई कार्यवाही या बातचीत करती नहीं दिख रही है. उन्होंने कहा कि इस पर और कुछ अन्य मुद्दों पर सरकार आगे बढ़े तो फिर हम आंदोलन की वापसी पर विचार कर सकते हैं.
लोकसभा के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक पेश किया था. सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी बात रखी थी. राज्यसभा में खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार ने उपचुनाव के नतीजे देखने के बाद कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया. खड़गे ने कहा कि आगे पांच राज्यों में चुनाव है, इसलिए सरकार को लगा कि अड़े रहे तो कड़ा नुकसान हो सकता है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसके जवाब में कहा कि ‘हम किसानों को समझाने में सफल नहीं हुए इसलिए प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक बड़प्पन का परिचय दिया.’
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘आज कृषि कानून निरसन विधेयक बिना चर्चा के लोकसभा में पास किया गया हम उसे सपोर्ट करते हैं लेकिन हम ये चाहते थे कि उस पर चर्चा हो कि क्यों इतनी देर हुई और दूसरे मुद्दे भी हैं जिन पर चर्चा हो, लेकिन उन्होंने (सरकार) टालने की कोशिश की.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में बिल पास होने के बाद कहा, ‘MSP लीगल गारंटी के साथ लागू की जाए. 35,000 किसानों को झूठे केसों में फसाया गया उन्हें मुक्त कराने की मांग और आंदोलन के दौरान मृतक 700 किसानों को मुआवजा देने की मांग पर सदन में चर्चा के लिए मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन हमें सदन में बोलने नहीं दिया गया.’
गौरतलब है कि 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानून वापस लेने जा रही है. उन्होंने कहा था कि हम कहीं न कहीं कुछ किसानों को इसके फायदे समझाने में सफल नहीं हो पाए. पीएम ने इसी के साथ किसानों से आंदोलन खत्म करने और अपने-अपने घर लौटने की अपील की थी.