अवमानना केस में दोषी वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में माफीनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं। अब प्रशांत की मुश्किलें बढ़ने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में बिना शर्त माफीनामा दाखिल करने के लिए आज तक का समय दिया था। अब उनकी सजा पर सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में आदेश में लिखा था कि हमने अवमानना के दोषी को बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया है. वह चाहे तो 24 अगस्त तक ऐसा कर सकता है. अगर माफीनामा जमा होता है, तो उस पर 25 अगस्त को विचार किया जाएगा। गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि न मुझे दया चाहिए, न मैं इसकी मांग कर रहा हूं। मैं कोई उदारता भी नहीं चाह रहा हूं, कोर्ट जो भी सज़ा देगी मैं उसे सहस्र लेने को तैयार हूं।
जानें क्या है पूरा मामला
22 जून को वरिष्ठ वकील ने अदालत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी। इन ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।
अदालत ने उन्हें नोटिस भेजा था। इसके जवाब में भूषण ने कहा था कि सीजेआई की आलोचना करना उच्चतम न्यायालय की गरिमा को कम नहीं करता है। उन्होंने कहा था कि पूर्व सीजेआई को लेकर किए गए ट्वीट के पीछे मेरी एक सोच है, जो बेशक अप्रिय लगे लेकिन अवमानना नहीं है।