राजस्थान सरकार ने बुधवार को म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) को महामारी घोषित कर दिया है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए लोगों में सामने आ रहे है म्यूकर माइकोसिस (Black Fungus) बीमारी फैली है। इस बीमारी के अब तक 400 से अधिक लोग मिलने के साथ ही दो की मौत हुई है।
जोधपुर, जयपुर, अजमेर व उदयपुर जिलों में इसके ज्यादा मिले हैं। इस बीमारी को प्रदेश ही हेल्थ इंश्योरेंस चिरंजीवी योजना में शामिल किया गया है। ब्लैक फंगस को रोकने के लिए काम आने वाले इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी का प्रबंध किया जा रहा है। वर्तमान में इसकी बाजार में उपलब्धता काफी कम है।
प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा अखिल अरोरा द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक कोरोना के प्रभाव के कारण म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis) के मरीजों की संख्या में हो रही लगातार बढ़ोतरी, ब्लैक फंगस के कोरोना वायरस संक्रमण के दुष्प्रभाव के रूप में सामने आने, कोविड-19 (Covid-19) और ब्लैक फंगस का एकीकृत व समन्वित उपचार किए जाने को लेकर यह फैसला किया गया है.
चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार से इस इंजेक्शन की मांग की गई है। इसके साथ ही सरकार ने अपने स्तर पर 2500 वाइल खरीदने को लेकर सीरम कंपनी को ऑर्डर दे दिया है।
दिल्ली में भी ब्लैक फंगस के 40 मरीज
दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल (Sir Gangaram Hospital ) में ब्लैक फंगस के 40 मरीज भर्ती हुए हैं. वहीं इसी म्यूकोर्मिकोसिस के 16 मरीजों को अभी तक बेड नहीं मिल पाया है. गौरतलब है कि दिल्ली में सरकार ने इसके इलाज को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं. केजरीवाल सरकार ने एक तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई है जो इसके इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन की आपूर्ति पर नजर रखेगी.
दरअसल, कोरोना पीड़ितों को संक्रमण का प्रभाव कम करने के लिए स्टोरॉयड दिया जाता है। इससे मरीज का ब्लैड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके साइडइफेक्ट के रूप में कई लोगों में ब्लैक फंगस हो जाता है। शुरुआती तौर पर इस बीमारी में नाक खुश्क होती है। नाक की परत अंदर से सूखने लगती है। इसके बाद चेहरे और तलवे की त्वचा सुन्न हो जाती है। चेहरे पर सूजन आ जाती है। इस बीमारी से आंखों की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जिससे सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद हो जाता है। इस कारण कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है।