पहले पार्टी में चल रही खेमेबंदी और बाद में सियासी संग्राम के चलते टली राजनीतिक नियुक्तियां अब कोरोना के कारण खर्चे में की जा रही कटौती की वजह से टाल दी गई हैं। अब संवैधानिक आयोगों को छोड़कर सभी गैर जरूरी राजनीतिक नियुक्तियों पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। कांग्रेस में सचिन पायलट खेमे से सुलह के बाद अब जल्द कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की संभावना बनी थी। इस बीच सरकार ने सभी गैर जरूरी खर्चों में कटौती का ऐलान कर दिया।
सरकार में आठ नए मंत्री बनने हैं और 20 से ज्यादा विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने की संभावना है। 52 से ज्यादा बोर्ड व निगमों में अध्यक्ष और सदस्यों के पदों पर नियुक्तियां होनी है. बोर्ड-निगम अध्यक्ष के पद को लाभ के दायरे से बाहर कर इन पर कई विधायकों को अध्यक्ष बने जाने की संभावना है। लेकिन सरकार द्वारा खर्च कटौती के फैसले से एक बार फिर इन नियुक्तियां के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। मार्च तक खर्च कटौती का सर्कुलर प्रभावी रहेगा और तब तक सरकार में गैर जरूरी खर्च पर पाबंदी है।
एक अनुमान के अनुसार, 8 नए मंत्रियों, 52 से ज्यादा अध्यक्षों, करीब 400 सदस्यों और 20 संसदीय सचिवों के वेतन, भत्तों, सुविधाओं और स्टाफ सहित पूरा सालाना खर्च 100 करोड़ के आसपास बैठता है।
सरकार इन नियुक्तियों को कुछ वक्त के लिए टाल कर करोड़ों रुपये बचाने की जुगत में है. हालांकि राजनीतिक रूप से जरूरी कुछ नियुक्तियां की जा सकती हैं। लेकिन अब यह तय माना जा रहा है कि एक साथ बड़ी तादाद में राजनीतिक नियुक्तियों के आसार बहुत कम हैं. आगे निकाय और पंचायत चुनाव भी हैं। ऐसे में राजनीतिक प्रेक्षकों का यह भी मानना है कि ज्यादातर नियुक्तियां अब इन चुनावों के बाद ही होने की संभावना है।
इन चुनावों में नेताओं की परफॉर्मेंस को राजनीतिक नियुक्तियों का आधार बनाया जाएगा। फिलहाल तो यह साफ दिख रहा है कि कोरोना ने कांग्रेस नेताओं के राजयोग को एक बार फिर अटका दिया है।