महाराष्ट्र की राजनीतिक जमीन पर मात खाए उद्धव ठाकरे को अब दशहरा रैली के आयोजन को लेकर बड़ा झटका लगा है। बागी शिंदे गुट को बीकेसी ग्राउंड (BKC Ground) पर दशहरा रैली की मंजूरी मिल गई है। बीकेसी के मैदान के लिए शिंदे गुट (Eknath Shinde Camp) ने ही पहले अर्जी दी थी। इसीलिए बीकेसी पर दशहरा रैली के आयोजन की उद्धव गुट की अर्जी मैदान बुक होने का हवाला देते हुए एमएमआरडीए (MMRDA) ने खारिज कर दी है।
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) मुख्यमंत्री शिंदे के नगर विकास मंत्रालय के तहत ही आता है। बीकेसी (BKC) का मैदान शिंदे गुट को दिए जाने के बाद अब शिवसेना के लिए शिवाजी पार्क में ही रैली करने का विकल्प बचा है। शिवसेना हर साल दशहरा के दौरान रैली का आयोजन करती है, लेकिन इस बार एकनाथ शिंदे गुट के अलग होने की वजह से अब दोनों गुट यह रैली करने जा रहे हैं। दोनों गुटों ने इसके लिए मैदान की परमिशन मांगी थी, लेकिन इजाजत शिंदे गुट को मिली।
MMRDA के एक अधिकारी ने बताया- हमने शिंदे गुट को अनुमति दी है और उन्होंने किराए का भुगतान भी किया है। उद्धव वाली शिवसेना का आवेदन स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि उन्होंने जो प्लॉट मांगा था वह पहले से ही किसी अन्य कंपनी ने बुक किया था। दोनों गुटों ने बीकेसी मैदान के अंदर अलग-अलग प्लॉट्स के लिए आवेदन किया था।
पिछले 56 वर्ष से शिवाजी पार्क पर ही शिवसेना की दशहरा रैली (Shivsena Dussehra Rally) होती आई है, लेकिन अब तक शिवसेना को शिवाजी पार्क (Shivaji Park) पर दशहरा रैली की मंजूरी नहीं मिली है।
शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे शिवाजी पार्क पर ही दशहरा रैली का आयोजन करने की बात बार-बार कह रहे हैं। पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग में उन्होंने पार्टी और पार्टी से जुड़े सभी संगठनों को दशहरा रैली की तैयारी करने को कहा है। इधर, बीएमसी सूत्रों का कहना है कि कानून-व्यवस्था को स्थिति को देखते हुए शिवसेना के दोनों गुट को रैली की अनुमति मिलने की संभावना बेहद कम है।
शिवसेना और शिवाजी पार्क का नाता अटूट
बाल ठाकरे, शिवसेना और शिवाजी पार्क का नाता भी अटूट है। इसी शिवाजी पार्क में पार्टी की नींव रखने के बाद उन्होंने यहीं पहली दशहरा रैली को संबोधित किया था। इस पार्क से शिवसेना का नाता या जुड़ाव उस दौर से है जब महाराष्ट्र में शिवसेना- बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी और मनोहर जोशी सीएम बने थे। उस दौरान शपथ समारोह के लिए शिवसेना ने इसी पार्क को चुना था। इसी पार्क से बाल ठाकरे ने कई बार चुनावी शंखनाद भी किया था। इस पार्क से उनके जुड़ाव को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि उनकी मौत के बाद इसी पार्क में उनका स्मृतिस्थल भी बनाया गया है।