- वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैनुफैक्चरिंग असोसिएशन ने सरकार को लिखा पत्र
- समिति की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सब्सिडी शुरू करे
- 1200 करोड़ की सालाना सब्सिडी में 65 फीसदी उड़ा ले गए 15 उद्योग
-पांच साल में 6,000 करोड़ की बिजली सब्सिडी उद्योग को दी गई
मुंबई: चुनिंदा उद्योगों को फिर से बिजली सब्सिडी शुरू करने पर बवाल मच गया है। महाराष्ट्र के अलग-अलग व्यापारिक संगठन विरोध कर रहे हैं। वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैनुफैक्चरिंग असोसिएशन ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, उर्जा मंत्री नितिन राउत समेत इससे जुड़े तमाम मंत्रियों व अधिकारियों को पत्र लिखकर मांग है कि फिर से शुरू की गई सब्सिडी तत्काल रोकी जाए। साथ ही जिन्होंने 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का गलत तरीके से फायदा लिया है उनसे वह रकम वापस ली जाए।
गौरतलब है कि सन 2016 में बीजेपी-शिवसेना सरकार ने विदर्भ, मराठवाडा और पिछड़े जिलों में उद्योग लगाने वालों को बिजली में 1200 करोड़ रुपये की वार्षिक सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया। सब्सिडी की लालच में महाराष्ट्र के दूसरे क्षेत्र के उद्योग सब्सिडी की लालच में विदर्भ, मराठवाडा की ओर
पलायन कर गए, लेकिन इनके हाथ कुछ नहीं लगा। सब्सिडी की बड़ी रकम चंद उद्योग को मिल रहा था। सरकार को यह समझने में पांच साल लग गए और जब बात समझ मे आई तब तक तो सरकार की तिजोरी से 6,000 करोड़ रुपये की रकम निकल चुकी थी। इससे नाराज वित्त और ऊर्जा विभाग ने सब्सिडी पर तत्काल रोक लगा दी। सब्सिडी जारी करने वाले महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के चेयरमैन विजय सिंघल की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति गठित की। समिति के बैठकों का सिलसिला चल ही रहा था कि गुपचुप तरीके से सब्सिडी फिर से शुरू कर दी गई। ऊर्जा विभाग का यह निर्णय अब विवाद का कारण बन गया है। इधर, इस पूरे मामले को लेकर वित्त विभाग ने नाराजगी व्यक्त की है।
सरकार ने माना घोटाला, तभी तो रोकी सब्सिडी
दरअसल, सब्सिडी देने की नियम व शर्त ही इस तरह से बनाई गई जिसका फायदा चुनिंदा उद्योगों को ही मिल सके। 1200 करोड़ रुपये की 65 फीसदी बिजली सब्सिडी 15 उद्योग ही उड़ा ले गए। वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैनुफैक्चरिंग असोसिएशन का कहना है कि, सरकार खुद मानती है कि सब्सिडी देने के नियम व शर्त में गड़बड़ियां है, तभी तो समिति बनाई ताकि विस्तृत अध्ययन कर उस क्षेत्र के सभी उद्योगों को सब्सिडी दी जा सके लेकिन यहां तो समिति की कोई रिपोर्ट आने से पहले ही उन्हीं लोगों को सब्सिडी देने की शुरुआत कर दी।
गलत तरीके से दी गई सब्सिडी वापस लो
असोसिएशन का कहना है कि, गलत तरीके से सब्सिडी लेने वालों को सरकार ने कारण बताओ नोटिस भेजा है। हम तो मांग कर रहे हैं कि पिछले 5 साल में जिनको भी गलत तरीके से सब्सिडी दी है उनसे वह रकम वापस ली जाए ताकि जिन्हें इसकी आवश्यकता है उन्हें दी जा सके, लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बह रही है।
जिसने सब्सिडी रोकी, उन्ही ने गुपचुप शुरू की;
इस घोटाले को सामने लाने वाले एडवोकेट विनोद सिंह कहते हैं कि, सब्सिडी घोटाला सामने आने के बाद ऊर्जा विभाग ने सब्सिडी देने पर तत्काल रोक लगा दी, लेकिन तीन महीने बाद इसी ऊर्जा विभाग ने गुपचुप तरीके से बिजली सब्सिडरी देना शुरू कर दिया। अब सवाल उठता है कि, आखिर सब्सिडी रोकी ही क्यों जब बहाल करनी थी। इधर, ऊर्जा मंत्री नितिन राउत का कहना है कि, हमने सब्सिडी रोकी थी, बंद नहीं की थी। समिति की रिपोर्ट आने के बाद सुधार करेंगे लेकिन तब तक तो सब्सिडी नहीं रोक सकते।