अयोध्या की बाबरी मस्जिद के विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की सीबीआई ट्रायल कोर्ट को फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को फैसला सुनने के लिए एक महीने का समय बढ़ाते हुए 30 सितंबर तक का समय दिया है। इस केस में सीनियर बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य नेताओं को आरोपी बनाया गया है।
न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक पीठ ने 19 अगस्त को 30 सितंबर तक फैसला सुनाने की समय सीमा बढ़ाने का आदेश पारित किया था। शीर्ष अदालत ने अपने आखिरी आदेश में फैसला सुनाने के लिए ट्रायल कोर्ट सीबीआई जज को 31 अगस्त तक फैसला सुनने का समय दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव द्वारा दायर याचिका पर आया, जो बाबरी मस्जिद के विध्वंस से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे हैं और मामले में फैसला सुनाने के लिए और समय की मांग कर रहे थे। गौरतलब है कि अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ‘कारसेवकों’ ने मस्जिद ढहा दी थी। उनका दावा था कि मस्जिद की जगह पर राम का प्राचीन मंदिर हुआ करता था। राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में आडवाणी और जोशी भी शामिल थे।