नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) और किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई की, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसमें कुल चार लोग शामिल होंगे.
कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल धनवत शामिल हैं. यह कमेटी नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की शिकायतों पर गौर करेगी और एक समाधान निकालेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कल ही स्पष्ट संदेश दे दिया था कि वह इस मसले को कमेटी के पास भेजेगी।
आज जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो किसानों ने कमेटी के पास जाने से मना कर दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई और कहा कि दुनिया की कोई ताकत उसे कमेटी बनाने से नहीं रोक सकती। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं और अनिश्चितकालीन प्रदर्शन से हल नहीं निकलेगा.’ उन्होंने कहा, ‘कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है. जो कमेटी बनेगी, वो हमें रिपोर्ट देगी. यह न तो कोई आदेश पारित करेगा और न ही आपको दंडित करेगा, यह केवल हमें एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये यहां तक संकेत दिया था कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है।
किसानों के वकील शर्मा ने कहा था कि किसान कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते हैं। शर्मा ने कहा कि किसान कल मरने की बजाय आज मरने को तैयार हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे. हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है. कानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है. लोग बाकी मसले कमेटी के सामने उठा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसान संगठनों से कहा कि यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है. हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए कमेटी का गठन चाहते हैं और आपको सहयोग करना ही होगा। अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते है तो कमेटी के समक्ष क्यों नही? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे.
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित करने की तैयारी है. सवाल है कि लोग हल चाहते हैं या समस्या बनाए रखना चाहते हैं. अगर हल चाहते हैं तो यह नहीं कह सकते कि कमेटी के पास नहीं जाएंगे.