मुंबई: देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है. इस दूसरी लहर में देश की युवा पीढ़ी सबसे अधिक संक्रमित हो रही है. इसके पूर्व, पहली लहर के दौरान कोरोना ने बुजुर्गों को अपने संक्रमण की चपेट में लिया था. अब जो खबरें सामने आ रही है, वह ज्यादा ही भयावह है. वह यह कि देश में कोरोना की तीसरी लहर भी आने वाली है और इस दौरान 18 साल से कम उम्र के बच्चे वायरस के प्रकोप से सबसे अधिक संक्रमित हो सकते हैं.
महाराष्ट्र से ही शुरू होगी तीसरी लहर
खबरों के अनुसार, कोरोना वायरस की तीसरी लहर की शुरुआत भी महाराष्ट्र से ही शुरू होने वाली है. हालांकि, अभी इस बात को लेकर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं कि यह कब से शुरू होगी. बताया यह जा रहा है कि जुलाई से सितंबर महीने के बीच कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत होगी.
तैयारियों में जुट गई महाराष्ट्र सरकार
हालांकि, तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर महाराष्ट्र में सरकारी स्तर पर अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, बृहन् मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (BMC) शिशु कोविड केयर फैसिलिटी स्थापित करने की योजना बना रहा है, ताकि तीसरी लहर के दौरान संक्रमित बच्चों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सके. इसके अलावा, बीएमसी की ओर से उन बच्चों के लिए एक क्रेच का नेटवर्क भी तैयार किया गया है, जिनके माता-पिता कोरोना का इलाज कराने के लिए शहर के विभिन्न कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं.
दूसरी लहर वाले वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक होगा नया स्ट्रेन
खबर यह भी है कि देश में शोधकर्ताओं को कोरोना वायरस का जो नया वेरिएंट मिला है, वह पहली और दूसरी लहर वाले वेरिएंट से करीब 1000 गुना ज्यादा खतरनाक है और यह बच्चों में तेजी से संक्रमण फैलाता है. हालांकि, शोधकर्ता और देश के वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार को तीसरी लहर को लेकर केंद्र सरकार को पहले ही आगाह भी कर दिया है.
बच्चों के लिए टीका विकसित करना बेहद जरूरी
संक्रमक रोग विशेषज्ञ डॉ नितिन शिंदे के अनुसार ऐसे समय में शिशुओं के लिए टीका विकसित करना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर टीका विकसित नहीं किया गया, तो तीसरी लहर के दौरान बड़े पैमाने पर 18 साल के कम उम्र के बच्चे संक्रमण के शिकार हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि 18 से 44 साल की उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया गया है. इस आयुवर्ग के कई लोग अपनी सुरक्षा के लिए टीका पहले ही लगवा चुके हैं. इसलिए, वायरस अब उन लोगों पर सबसे ज्यादा हमला कर सकता है, जिन्हें उनकी सुरक्षा के लिए टीका नहीं लगाया गया है.
मुंबई-पुणे जैसे शहरों में संक्रमित हो रहे बच्चे
उन्होंने आगे कहा है कि दूसरी लहर के दौरान कोरोना बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है. इस दौरान बच्चों के संक्रमित होने की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. जीएमसीएच के शिशु विभाग की प्रमुख डॉ दीप्ति जैन ने कहा है कि मुंबई और पुणे जैसे शहरों में पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में बहुत अधिक प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि, वे गंभीर रूप से पीड़ित नहीं होते, लेकिन संक्रमण फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं. वे अपने-अपने घरों में बड़े लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर संक्रमण की चेन को तोड़ना है, तो बच्चों के लिए भी टीका विकसित करना होगा.