ताले के लिए अलीगढ़ (Aligarh) देश और दुनिया में मशहूर है. इसी पहचान को कायम रखने में अलीगढ़ में बर्षों से एक दंपति लगा हुआ है. राम मंदिर के लिए अलीगढ़ में ताला तैयार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि यह ताला लगभग बनकर तैयार हो चुका है.
अलीगढ़ स्थित ज्वालापुरी के रहने वाले ताला कारीगर सत्य प्रकाश शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह ताला 400 किलो का है, जिसे मैंने पत्नी के साथ मिलकर 6 महीने में बनाया है. हमारा बनाया हुआ ताला लोगों के लिए नुमाइश में आकर्षण बना हुआ है. बताया जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ताला है.
इस ताले को 30 किलो की चाबी से खोला और बंद किया जाता है, इसकी लंबाई 4 फुट है. यह भी बताया गया है कि एक लाख रुपये की लागत से बने इस ताले को बनाने में 6 महीने का समय लगा है. इस ताले पर रामदरबार की आकृति भी उकेरी गई हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सत्यप्रकाश का कहना है कि ताले को 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया जाए तो बेहतर होगा. इसके लिए उन्होंने सीएम योगी और पीएम को पत्र भी भेजा है.
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यह ताला अलीगढ़ की राजकीय कृषि प्रदर्शनी में रखा गया है और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. लोग इसका दीदार कर रहे हैं और वहां सेल्फी भी ले रहे हैं. जल्द ही इस ताले को अयोध्या में राम मंदिर प्रशासन को सौंप दिया जाएगा. 65 साल के सत्यप्रकाश शर्मा का तालों का पुराना कारोबार है. वह ऑर्डर पर ताले तैयार कराते हैं और इसकी सप्लाई करते हैं.
वहीं ताला कारीगर सत्य प्रकाश शर्मा की पत्नी रुक्मणी देवी शर्मा ने बताया कि हमारी इच्छा थी कि हम राम मंदिर के लिए ताला बनाएं. इसलिए हमने 400 किलो का यह ताला बनाया है. उन्होंने बताया कि उनके पति हार्ट के पेशेंट थे, इस वजह से इसे बनाने में ज्यादा वक्त लग गया. हम इस ताले को राम मंदिर के लिए भेंट करना चाहते हैं. इस प्रदर्शनी में लगे ताले को देखकर लोग हमारे साथ फोटो-वीडियो भी ले रहे हैं और हमें आशीर्वाद भी दे रहे हैं.
सत्यप्रकाश ने इससे पहले 300 किलो का ताला भी बनाया था. इस रिकॉर्ड को उन्होंने अब 400 किलो का ताला बनाकर तोड़ा है. वे 40 साल से ताला निर्माण से जुड़े हुए हैं. उन्हें अपने पिता भोजराज शर्मा से ताला निर्माण की कला विरासत में मिली. इनकी पीढ़ी करीब 100 साल से इस कारोबार से जुड़ी हुई है.