सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई की कंपनी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने पतंजलि की कोरोनिल दवा को लेकर मद्रास हाईकोर्ट से फैसले को चुनौती दी थी। चेन्नई की फर्म अरुद्रा इंजीनिरिंग की मांग है कि पंतजलि को कोरोनिल ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने से रोका जाए क्योंकि ये पहले से उसके पास है। इसको लेकर कंपनी पहले मद्रास हाईकोर्ट गई थी।मद्रास हाईकोर्ट ने पतंजलि को अपने उत्पाद पर कोरोनिल ट्रेडमार्क शब्द का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग के लिए कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। जिस पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। ऐसे में कारोबारी बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि कोरोनिल ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करती रहेगी।
कुछ समय पहले पतंजलि ने कोरोना की दवा बना लेने का दावा करते हुए कोरोनिल को लॉन्च किया था। इस पर आयुष मंत्रालय ने जानकारी मांगी थी और दवा की जांच होने तक कोरोनिल के विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। इस दवा, कोरोनिल को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचे जाने की इजाजत मिली थी। इसके बाद चेन्नई की फर्म ने दावा किया कि 1993 से ‘कोरोनिल’ उसके स्वामित्व वाला ट्रेडमार्क है। कंपनी का पंजीकृत ट्रेडमार्क, जिसे ‘कोरोनिल -92 बी’ कहा जाता है, औद्योगिक उपयोग के लिए भारी मशीनरी और रासायनिक तैयारी को साफ करने के लिए एक एसिड अवरोधक उत्पाद है। ऐसे में अब इस नाम से पतंजलि की ओर से दवा उतार देना गलत है।
पतंजलि पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए चेन्नई की कंपनी अदालत में चली गई। मामले की सुनवाई पहले मद्रास हाईकोर्ट में हुई और कोर्ट की सिंगल बेंच ने पतंजलि पर 10 लाख का जुर्माना लगाते हुए इस ट्रेड मार्क के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी और पतंजलि को ट्रेडमार्क के इस्तेमाल की इजाजत दे दी। डिवीजन बेंच के पतंजलि को राहत देने वाले आदेश को अरुद्रा इंजीनियरिंग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई से इनकार कर दिया। अब ये मामला मद्रास हाईकोर्ट में ही चलेगा।