सीमा पर शहीद हुए महाराष्ट्र के दो लाल
नापाकी बंकरों को उड़ाने में निभाई भूमिका
जोंधले और सतई ने बढ़ाया प्रदेश का मान
मुंबई-जम्मू कश्मीर से सटी एलओसी पर पाकिस्तानी सेना द्वारा अचानक की गयी फायरिंग में जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने दुश्मन के कई बंकरों को ध्वस्त कर दिया। इसी ऑपरेशन में दुश्मन पर करारा प्रहार करते हुए महाराष्ट्र के दो बीर सपूत वीरगति को प्राप्त हो गए. कोल्हापुर जिले के बाहिरवाड़ी गांव के लाल ऋषिकेश जोंधले और नागपुर जिले के काटोल तालुका के अंबाड़ा सोनक गांव के लाल भूषण सतई अपने कर्तव्य का पालन करते हुए शहीद हो गए हैं।
इस घटना में जहां कुल पांच भारतीय सैनिक शहीद हुए थे तो पाकिस्तानी सेना के दो दर्जन से अधिक जवान मारे गए जबकि बड़ी संख्या में बनाए गए बंकरों को हमारे जवानों ने ध्वस्त कर दिया और लांचिंग पैड को नेस्तनाबूद कर दिया। साथ ही इस हमले में तीन नागरिक भी घायल हुए थे. लेकिन जवाबी हमले में जोंधले और सतई ने आगे रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जिस स्कूल में पढ़े, वहीं हुआ अंतिम संस्कार
ऋषिकेश जोंधले के शहीद होने की खबर जैसे ही गांव में पहुंची, गांव में शोक की लहर फैल गई। ऋषिकेश दो साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में थी। 20 साल की उम्र में शहीद होने वाले एकमात्र ऋषिकेश के सम्मान में पूरे कोल्हापुर जिले में शोक व्यक्त किया जा रहा है। ऋषिकेश का अंतिम संस्कार उस स्कूल के परिसर में किया गया जहां उन्होंने शिक्षकों से संस्कार के साथ शिक्षा ग्रहण किया था.
इसी तरह से 28 वर्षीय नागपुर के भूषण रमेश सतई छह मराठा बटालियनों में नायक के रूप में काम कर रहे थे। उनकी पोस्टिंग पिछले एक साल से जम्मू-कश्मीर में थी। वह वर्तमान में सीमा के पास गुरेज़ सेक्टर में तैनात थे। भारतीय सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी का जवाब दे रहे थे, तब पाकिस्तान द्वारा दागे गए गोले की चपेट में आने से शहीद हो गए।
बहन की शादी की कर रहे थे तैयारी
वर्तमान में भूषण अपनी बहन की शादी की तैयारी कर रहे थे। भूषण की योजना बहन की शादी के बाद अपनी शादी करने की थी।लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, उससे पहले ही वे वीरगति को प्राप्त हो गए। खेतिहर मजदूर माता-पिता की संतान भूषण को नौकरी मिलने के बाद परिवार की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था। लेकिन अब परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है.