भारत के त्यौहार दुर्गा पूजा को अब अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हो चुकी है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र संघ की कल्चर यूनिट (UNESCO) ने बुधवार को बंगाल की दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल करने की घोषणा की। ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि खासतौर पर बंगाल के लोगों के लिए ये एक बहुत बड़ी खुशखबरी है।
बता दें कि बंगाल सरकार ने ही यूनेस्को से दुर्गा पूजा को विरासत की सूची में शामिल करने का आवेदन किया था। अब यूनेस्को ने इस आवेदन को स्वीकार कर लिया है। इससे बंगाल की दुर्गा पूजा को विश्व स्तर पर मान्यता मिल गई है. इस फैसले के बाद पूरे देश में, खासकर बंगाल में खुशी की लहर दौड़ गई है।
जानकारी के मुताबिक, अंतर सरकारी समिति के 16वें सत्र में दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने इस लिस्ट में शामिल करने की घोषणा की। बता दें कि यूनेस्को ने दुनियाभर की कुछ खास अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों की बेहतर सुरक्षा और उनके महत्व के बारे में दुनिया को जागरुक करने के लिए 2008 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची बनाई थी। दुनिया भर से आए प्रपोजल्स को लेकर यूनेस्को की समिति उनके प्रोजेक्ट्स और प्रोग्राम्स की समीक्षा के बाद इस लिस्ट में शामिल करने पर फैसला करती है। कोलकाता की दुर्गा पूजा को इस बार भारत की ओर से इस लिस्ट के लिए नामांकित किया गया था।
यूनेस्को ने अपनी साइट पर कोलकाता की दुर्गा पूजा को लेकर लिखा, ‘दुर्गा पूजा को धर्म और कला के पब्लिक परफॉर्मेंस के सबसे अच्छे उदाहरण के साथ-साथ सहयोगी कलाकारों और डिजाइनरों के लिए एक बड़े मौके के रूप में देखा जाता है। इसके आगे यूनेस्को की ओर से लिखा गया है, ‘दुर्गा पूजा के दौरान, वर्ग, धर्म और जातीयता का विभाजन टूट जाता है।’
आपको बता दें कि इस लिस्ट में साल 2016 में नवरोज और योग को भी शामिल किया गया था। इसके अलावा 2008 में रामलीला और 2017 में कुंभ मेले को भी इस लिस्ट में महत्वपूर्ण जगह मिली थी।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के साथ-साथ ही देश के कोने-कोने में हर साल दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जाता है। बंगाल में जगह-जगह पंडाल बनाए जाते हैं। ये पंडाल अलग-अलग थीम पर बनाए जाते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान पूरा बंगाल एक अलग ही रंग में नजर आता है।र हर जगह मां दुर्गा की पूजा की गूंज उठती है। बंगाल सरकार की ओर से हर साल दुर्गा पूजा कार्निवल का भी आयोजन किया जाता है।