काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) मामले में वाराणसी कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने इस मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण(Archaeological Survey of India) किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी. वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने यह फैसला सुनाया.
1991 से चल रहे मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी की अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। अदालत ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को अपने खर्चे पर खुदाई करने का निर्देश दिया है। ऑब्जर्वर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी गठन करने को भी कहा गया है।
इस टीम में अल्पसंख्यक समुदाय के दो सदस्य भी शामिल होंगे. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र से एक व्यक्ति इस सर्वेक्षण कार्य का ऑब्ज़र्वर रहेगा, जो किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से संबंधित होगा. ASI की 5 सदस्यीय कमेटी रोजाना इस ऑब्जर्वर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.कोर्ट ने कहा कि रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक सर्वे किया जाएगा.
GPR तकनीक और Geo Radiology System के सहारे यह सर्वेक्षण किया जाएगा. समूचे सर्वे की वीडियोग्राफ़ी करायी जाएगी, कलर और ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटोग्राफ़ी भी करानी होगी. कोई भी पक्ष ASI की कमेटी पर दबाव नहीं बनाएगा.
अदालत ने आदेश में कहा कि सर्वे के दौरान प्रशासन को इस बात का ख़्याल रखना होगा कि मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को नमाज़ से ना रोका जाए. कोर्ट ने कहा कि सर्वे के दौरान मीडिया को मौजूद रहने की इजाज़त नहीं होगी और न ही कमेटी का कोई भी सदस्य मीडिया से बातचीत नहीं करेगा. कोर्ट ने कहा कि सर्वे खत्म होने बार पूरी रिपोर्ट सील कवर लिफ़ाफ़े में कोर्ट में पेश करनी होगी.
कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था और यह निर्माण मंदिर तोड़कर किया गया था. इसी को लेकर पूरा विवाद है. 1991 में ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ के साथ ही मरम्मत का भी अधिकार होना चाहिए. उन्होंने दावा किया था कि विवादित परिसर में बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है.