मुंबई-आईआईटी मुंबई के ताजा रिसर्च में यह बात साबित हुई है कि फेस मॉस्क के जरिए कोविड कफ क्लाउड्स पर 7 से 23 गुना तक नियंत्रण किया जा सकता है। इस तरह से मास्क ही संक्रमण के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण व असरदार सोशल वैक्सीन बन सकता है। आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर अमित अग्रवाल और रजनीश भारद्वाज ने बताया कि मरीज के मुंह से कफ क्लाउड के जरिए निकला एसएआरएस-को वी-2 की आकार और संख्या को कम करने के लिए केवल मास्क ही नहीं, बल्कि रुमाल भी काफी सहायक होता है। दोनों प्रोफेसरों की रिसर्च अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ फीजिक्स के ‘फीजिक्स ऑफ फ्लूड्स’ जॉर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्च में पाया गया है कि साधारण मॉस्क या रुमाल लगाने से क्लाउड वॉल्यूम सात गुना तक घट जाता है। जबकि एन-95 मास्क लगाने से यह 23 गुना तक कम हो जाता है।
डॉक्टर अग्रवाल ने आगे बताया कि जेट थिअरी के आधार पर विश्लेषण करते हुए हमने पाया कि कफ के बाद के पहले 5 से 8 सेकेंड हवा में ड्रॉपलेट फैलने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। डॉक्टर भारद्वाज ने कहा कि यहां तक कि खांसते वक्त रुमाल का यूज करना या फिर कोहनी में ही खांसने से कफ क्लाउड की दूरी घट जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस तरह के उपायों से संक्रमण के फैलने के चांस सीमित हो जाते हैं। आईआईटी-बॉम्बे की टीम ने कफ क्लाउड की मात्रा को मापने के लिए फॉर्म्युला भी ईजाद किया है। इस फॉर्म्युले की मदद से किसी हॉस्पिटल के वॉर्ड में अधिकतम लोगों की संख्या निर्धारित करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही किसी कमरे में, सिनेमा हॉल में, कार या एयरक्राफ्ट के कैबिन में हवा सर्कुलेट करने की न्यूनतम दर बनाए रखने में भी सहायता मिलती है, जिससे ताजगी बनी रहे और संक्रमण की स्थिति कम हो सके।