केंद्र सरकार की ओर से सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं के आयोजन की आहट मिलते ही करीब 300 विद्यार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना को पत्र भेजकर परीक्षाओं के आयोजन को रद्द करने की मांग की है। छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार को उनके लिए वैकल्पिक मूल्यांकन योजना प्रदान करने का निर्देश देने को कहा है।
छात्रों ने अपने पत्र में लिखा कि कोरोना महामारी के बीच सीबीएसई की ओर से भौतिक रूप (ऑफलाइन) से परीक्षाएं कराने के फैसले पर रोक लगाई जाए। छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश से यह भी मांग की वह केंद्र सरकार को इस संबंध में निर्देश दे कि वैकल्पिक असेसमेंट योजना उपलब्ध कराई जाए।
Around 300 students of class XII have sent a letter petition to CJI NV Ramana to quash the decision of the CBSE to hold physical conduct of examination amid the COVID19 pandemic. Students ask SC to direct govt to provide alternative assessment scheme for them.
छात्रों ने पत्र में लिखा है कि ऐसी महामारी के दौर में भौतिक रूप से परीक्षाएं कराना न सिर्फ अन्यायपूर्ण है बल्कि यह अव्यवहारिक कदम भी है। यदि भौतक रूप से परीक्षाएं कराई गई तो इससे लाखों छात्रों, पैरेंट्स, शिक्षकों और सपोर्टिंग स्टाफ के जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खतरा पैदा होगा।
रविवार को बुलाई गई थी उच्चस्तरीय बैठक
ज्ञात हो कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में फैसला लिया गया कि 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द नहीं होंगी। दिल्ली और महाराष्ट्र को छोड़कर ज्यादातर राज्यों ने भी 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने का सुझाव दिया है।
बैठक में राज्यों से सुझाव मांगे थे। फिलहाल, बैठक के बाद भले ही कोई फैसला नहीं हो पाया हो, लेकिन कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से लेकर मीडिया संस्थानों की वेबसाइट तक पर सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर जमकर कयासबाजी जारी है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि वह परीक्षाओं को लेकर छात्रों और अभिभावकों में पैदा हुए असमंजस को जल्द ही खत्म करेगी। एक जून या उससे पहले ही परीक्षा को लेकर फैसला हो जाएगा और परीक्षा की तिथि जारी कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि 12 वीं की परीक्षाएं जुलाई में हो सकती हैं।
12वीं की बोर्ड परीक्षा न कराने के पक्ष में खड़े दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को भले ही इस फैसले से कुछ फायदा नजर आ रहा हो, लेकिन भविष्य में इससे बच्चों के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। खासकर, केंद्रीय मदद से संचालित होने वाले प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रवेश में दिक्कत खड़ी हो सकती है, जहां उन्हें परीक्षा देकर आए छात्रों के मुकाबले कमतर आंका जा सकता है। ऐसे ही समस्या विदेशी संस्थानों के दाखिले में पैदा हो सकती है।
दावा किया जा रहा है कि सीबीएसई की 12वीं बोर्ड की परीक्षा 15 जुलाई से शुरू हो सकती है और परीक्षा के 26 अगस्त चलने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, परीक्षा की संभावित तिथियां बताने के साथ ही परीक्षा पैटर्न, अंक प्रणाली और प्रश्न पत्र सॉल्व करने के समय तक में बदलाव के दावे किए जा रहे हैं। कहा ये भी जा रहा है कि सीबीएसई द्वारा परिणाम सितंबर में घोषित किए जा सकते हैं। दावा यह भी है कि परीक्षा तीन घंटे की जगह डेढ़ घंटे की रख दी जाए और सिर्फ प्रमुख विषयों की ही परीक्षा आयोजित की जाए।