रजिस्ट्रार की नियुक्ति पर बढ़ा विवाद
मुंबई। मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति की आपत्तियों के बावजूद राज्य सरकार द्वारा के एक वर्ष के लिए कुलसचिवों की नियुक्ति को विश्वविद्यालय के मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए इसकी आलोचना की जा रही है।
मुंबई विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार के रिक्त पद के लिए विज्ञापन द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद थी। लेकिन कतिपय कारणों से प्रक्रिया बाधित हो गई और सरकार ने एक वर्ष के लिए एक रजिस्ट्रार नियुक्त किया है। फिर भी प्रशासन ने निर्णय पर पुनर्विचार करने की कुलपति की मांग को नजरअंदाज कर दिया है।
नियमों के अनुसार सरकार को रजिस्ट्रार नियुक्त करने का अधिकार है।लेकिन इसके लिए एक प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। न्यासी बोर्ड के सदस्यों ने सवाल उठाया है कि अराजकता न होने पर भी विश्वविद्यालय को नए रजिस्ट्रार नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों पड़ी और विश्वविद्यालय अभी भी चालू था। विश्वविद्यालय के मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ रहा है और स्वायत्तता को खतरा हो रहा है।
राजनीतिक रंग
राज्य में परीक्षा को लेकर भाजपा ने सरकार के बढ़ते दखल की आलोचना की थी। भाजपा विधायक आशीष शेलार ने रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भले ही रजिस्ट्रार को विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार प्रभारी नियुक्त किया गया है. लेकिन विश्वविद्यालय में कोई अराजकता नहीं है, फिर भी सरकार ने विश्वविद्यालय के काम में हस्तक्षेप किया गया है। शेलार ने आगे कहा कि नेशनल असेसमेंट एंड रेटिंग सिस्टम (एनएसी) मूल्यांकन की तैयारी के दौरान रजिस्ट्रार का अचानक बदलाव मूल्यांकन को प्रभावित कर सकता है।