सरकार भरेगी मेडिकल ट्यूशन फीस , निजी गैर अनुदानित कॉलेजों में प्रवेश
मुंबई- राज्य सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) तथा सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईडब्ल्यूएस) की मेडिकल ट्यूशन फीस भरने का निर्णय लिया है. सरकार उपरोक्त वर्ग के आरक्षण के कारण वंचित रह गए विद्यार्थियों को गुणवत्ता वाले मेडिकल, दंत चिकित्सा और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए प्रवेश लेने के लिए लगने वाली पूर्ण ट्यूशन फीस का भुगतान करेगी। यह निर्णय 2019-20 में भर्ती हुए छात्रों के लिए लिया गया है।
राज्य में शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी सेवाओं में एसईबीसी के लिए आरक्षण शुरू किया गया था। उसी समय केंद्र सरकार के कानून के अनुसार ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया था।शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में दोनों श्रेणियों के आरक्षण के अनुसार सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, मनपा और निजी गैर-अनुदानित कॉलेजों में मेडिकल, डेंटल डिग्री और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश दिए गए थे। लेकिन सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में कुछ मेधावी छात्रों के प्रवेश में बाधा उत्पन्न हो गयी थी, जिसके कारण उन्हें निजी, गैर अनुदानित कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ा। 12 अगस्त 2020 को कैबिनेट की हुई बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया था कि सरकार को आरक्षण से पीड़ित इन छात्रों की ट्यूशन फीस का भुगतान करना चाहिए। यह निर्णय उसी मंजूर प्रस्ताव के अनुसार लिया गया है. चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग ने शुक्रवार को एक सरकारी आदेश जारी किया है.
जिसके अनुसार एमबीबीएस, बीडीएस और पोस्ट-ग्रेजुएट-तीन साल के लिए, के पूरे कोर्स लिए ट्यूशन फीस का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। यदि सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों, छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी अनुदानों से ट्यूशन फीस प्राप्त कर रहे हैं तो बाकी फीस उसी राशि में से कटौती करके दी जाएगी। छात्र को उस वर्ष के लिए ट्यूशन फीस नहीं दी जाएगी जिसमें वह फेल हो गया हो। साथ ही अनिवासी भारतीय कोटा, प्रबंधन-संस्थागत कोटा, संस्थान स्तर पर भर्ती होने वाले छात्र ट्यूशन फीस के लिए पात्र नहीं होंगे।