” होली “
इस होली में एक नई शुरुआत कर चलो
पिचकारियों से प्यार की बौछार कर चलो।
शिकवे गिले को आओ होलिका में डाल कर
किसी से माँग लो माफ़ी, किसी को माफ़ कर चलो।
छोड़ो भेदभाव, जात पात धर्म को
इंसान हो इंसान को इंसान कर चलो।
उँगली पकड़ चलना सिखाया है जिन्होंने
प्यारे माँ बाप को साथ कर चलो
प्यारे माँ बाप का सम्मान कर चलो
प्यारे माँ बाप को प्रणाम कर चलो।।
- डॉ. निशीथ चन्द्रा