पनामा पेपर्स केस (Panama Papers Case) में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की बहू और एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में पूछताछ के लिए हाजिर हुईं.
ईडी ने उन्हें पनामा पेपर्स केस में नोटिस जारी कर पेश होने को कहा था. इससे पहले भी उन्हें दो बार नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने पेशी से छूट मांग ली थी. ऐश्वर्या सोमवार को दिल्ली स्थित ED के दफ्तर में पहुंच चुकी हैं. बता दें कि ED के अधिकारी ऐश्वर्या राय से पूछे जाने वाले सवालों की सूची पहले ही तैयार कर चुके हैं.
ईडी के दफ्तर में पेश हुईं ऐश्वर्या राय ने कुछ दस्तावेज भी एजेंसी को सौंपे हैं. बच्चन फैमिली के खिलाफ ईडी इस मामले में 2016-17 से ही जांच कर रही है. ई़डी ने बच्चन फैमिली को नोटिस जारी कर पूछा था कि आखिर 2004 के बाद उसके कितनी रकम विदेश से हासिल की है या भेजी है. इसके बाद बच्चन फैमिली की ओर से कुछ दस्तावेज सौंपे गए थे.
ऐश्वर्या राय बच्चन का नाम उन 500 भारतीयों में शामिल हैं, जिनका जिक्र पनामा पेपर्स लीक में किया गया था. इनमें कई पॉलिटिशियन के अलावा एक्टर्स, खिलाड़ी और उद्योगपतियों के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट में ऐश्वर्या राय बच्चन के ससुर अमिताभ बच्चन का नाम भी शामिल है. हालांकि अब तक उनकी ओर से इस बारे में कोई बात नहीं कही गई है.
पनामा पेपर्स मामले में करीब महीनेभर पहले ही अभिषेक बच्चन भी ED ऑफिस पहुंचे थे. वे कुछ डॉक्यूमेंट्स भी ED अधिकारियों को सौंपे चुके हैं. ED सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसी जल्द ही इस मामले में उनके पापा अमिताभ बच्चन को भी समन भेजने वाली है.
क्या है पनामा पेपर्स लीक मामला
पनामा एक लैटिन अमेरिकी देश है, जहां लॉ फर्म मोसेक फोंसेका के एक करोड़ 10 लाख दस्तावेज लीक हुए थे. लीक दस्तावेज बताते हैं कि ताकतवर लोगों ने पनामा, वर्जिन आईलैंड और बहामास जैसे टैक्स हैवन देशों में बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट किया था. यहां ताकतवर और रसूखदार लोगों ने इसलिए निवेश किया, क्योंकि यहां टैक्स के नियम काफी आसान हैं और निवेश करने वाले लोगों की पहचान सीक्रेट रखी जाती है.
1977 में बनी मोसेक फोंसेका एक लॉ फर्म है, जिसके 35 देशों में ऑफिस है, लेकिन इसका हेडक्वार्टर पनामा में है. ये फर्म अलग-अलग देशों में ताकतवर औार अमीर लोगों से मोटी फीस लेकर उन्हें वित्तीय सलाह देती है. सलाह देने की आड़ में ये फर्म शैल कपंनी भी बनाती है. ये शैल कंपनीज सिर्फ दिखावे के लिए बनाई जाती हैं. इसे बनाने का मकसद होता है किसी भी कानूनी प्रक्रिया से बचना और पैसे को ठिकाने लगाना या फिर काले धन को सफेद करना.