केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर से जांच करने के साथ ही पुनर्विचार करने का फैसला किया है. साथ ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि जब तक सरकार इस मामले की जांच नहीं कर लेती, तब तक देशद्रोह मामले पर सुनवाई नहीं किया जाए. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि देशद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A की वैधता की जांच और पुनर्विचार किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने किया देशद्रोह कानून का बचाव
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने देशद्रोह कानून को सही करार देते हुए इसे बरकरार रखने की बात कही थी. देशद्रोह कानून का बचाव करते हुए केंद्र सरकार ने बीते शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने का अनुरोध किया था.
तीन जजों की संवैधानिक पीठ कर रही सुनवाई
चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की संवैधानिक पीठ देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं. चीफ जस्टिस, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली को ये भी तय करना था कि इस याचिका को पांच या सात जजों की संवैधानिक पीठ के पास रेफर किया जाए या फिर तीन जजों की बेंच ही इस याचिका पर सुनवाई करे.
केंद्र सरकार ने लिखित तौर पर केदार नाथ बनाम स्टेट ऑफ बिहार केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बेंच से कहा था कि देशद्रोह को लेकर पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था इसलिए अब इस फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है. बता दें कि साल 1962 में केदार नाथ बनाम स्टेट ऑफ बिहार केस में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि देशद्रोह कानून के दुरुपयोग की संभावना के बावजूद इस कानून की उपयोगिता जरूरी है.