मुंबई. हिन्दू जनजागृति समिति के तत्वावधान में ‘दिल्ली-बेंगलुरु दंगे : नया जिहाद ?’ विषय पर विशेष परिसंवाद का ऑन लाइन आयोजन किया गया। चर्चासत्र में पूर्व केंद्रीय अवर गृह सचिव आर.वी.एस. मणि ने कहा कि पहले दिल्ली को दहलाया उसके बाद बेंगलुरु को आग लगाया। इस तरह से अनेक स्थानों पर दंगों के रूप में सन 2006 से अघोषित युद्ध की तैयारी चल रही है। ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आय.) और ‘सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया’
(एस.डी.पी.आय.) जैसे संगठनों का इन दंगों में हाथ है। बेंगलुरु के दंगे में 8 हजार लोग कैसे जमा होते हैं ? इससे पता चलता है कि इसके पीछे कोई बडा षड्यंत्र है। इसलिए, ‘पीएफआय’ जैसे संगठनों पर केवल प्रतिबंध लगाना पर्याप्त नहीं होगा। इन दंगों की जांच नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) से करवाकर उन्हें समूल नष्ट कर देना चाहिए।
‘द मिथ्स ऑफ हिन्दू टेरर’ पुस्तक के लेखक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आर.वी.एस. मणि ने आगे कहा कि ‘एफसीआरए’ (फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट) के अंतर्गत वर्ष 2017-18 में विदेश से 18 हजार करोड रुपए आए थे। इसमें से 12 हजार करोड रुपए ईसाई मिशनरियों को धर्म परिवर्तन के लिए, 5,500 करोड रुपए इस्लामिक संस्थाओं को धर्म परिवर्तन के लिए तथा 500 करोड रुपए हिन्दू संस्कृति, धार्मिक प्रथाओं के विरोध में जनहित याचिका करने वाली स्वयंसेवी संगठनों को दिए गए। ‘एफसीआरए’ देश को लगातार खोखला बनाने का कार्य कर रही है इसलिए उस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। भारतीय प्रशासकीय सेवा के कुछ अधिकारी पाकिस्तान से पैसा लेकर उसके लिए कार्य कर रहे हैं। सरकार उन्हें ढूंढ कर निकाले। चर्चा सत्र को ‘भारत पुनरुत्थान ट्रस्ट’ के सचिव गिरीश भारद्वाज, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य संयोजक गुरुप्रसाद गौडा आदि ने भी संबोधित किया।