सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को बड़ी राहत देते हुए डिप्टी स्पीकर के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है. डिप्टी स्पीकर ने बागी शिंदे गुट के विधायकों को नोटिस जारी करते हुए आज शाम 5:30 बजे तक जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल, महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव, महाराष्ट्र पुलिस और केंद्र सरकार के अलावा अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होगी. तब तक डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल की ओर से एकनाथ शिंदे और उनके 15 साथियों को जारी नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के नेताओं अजय चौधरी, सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी किया है. इन सभी लोगों से शीर्ष अदालत ने 5 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की तिथि 11 जुलाई मुकर्रर कर दी.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फिलहाल शिंदे गुट को राहत मिली है. साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और सभी 39 विधायकों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए.
बागी शिंदे गुट के 16 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अपनी याचिका में बागी विधायकों ने कहा है कि उन्होंने शिवसेना की सदस्यता नहीं छोड़ी है और शिवसेना विधायक दल के 2 तिहाई से ज्यादा समर्थन होने के बावजूद डिप्टी स्पीकर ने 21 जून को पार्टी के विधायक दल का नया नेता नियुक्त कर दिया.
उन्होंने बताया कि नोटिस के बाद उन्हें और उनके अन्य साथियों को रोज धमकियां मिल रही हैं. बागी विधायकों ने शिवसेना पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने (शिवसेना) न सिर्फ उनके घर-परिवार से सुरक्षा वापस ले ली है, बल्कि बार-बार पार्टी कार्यकर्ताओं को भड़काने की कोशिश भी की जा रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता के कुछ सहयोगियों की संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है.
नये नेता के आग्रह पर डिप्टी स्पीकर ने एकनाथ शिंदे गुट को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू कर दी. 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी कर दिया गया. इसी कार्रवाई के खिलाफ एकनाथ शिंदे और उनके साथियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. अब सुप्रीम कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली है.