कोरोना काल में हो रहा ऑक्सीजन का खेल
जांच से पता चलेगा कौन पास कौन फेल
सरकारी से ज्यादा निजी अस्पतालों में प्रयोग
एफडीआई रखेगी उत्पादन केंद्रों पर नजर
मुंबई, वैश्विक महामारी कोरोना के चलते अस्पतालों में अचानक बढ़ी ऑक्सीजन की मांग से सरकार चौकन्नी हो गई है। सरकारी अस्पतालों के मुकाबले निजी अस्पतालों में दुगने से ज्यादा ऑक्सीजन के उपयोग होने की जानकारी सामने आने के बाद इसमें भ्रष्टाचार का खेल होने का संदेह जताया जा रहा है। सरकार ने अन्न एवं औषधि आपूर्ति विभाग से ऑक्सीजन उत्पादन केंद्रों पर नजर बनाए रखने का आदेश जारी किया है।महाराष्ट्र के सभी बड़े शहरों के साथ मुंबई में भी मरीजों के लिए लगने वाले ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है। आपूर्ति में कमी की बात सामने आने के बावजूद निजी और सरकारी अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि, राज्य के निजी अस्पताल सरकारी अस्पतालों की तुलना में दोगुने से ज्यादा ऑक्सीजन का उपयोग कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस संबंध में एक स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। वर्तमान में, उपचार के दौर से गुजर रहे रोगियों के बीच कोरोना रोगियों के लिए प्रति दिन 600 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है।
निजी अस्पतालों में ज्यादा इस्तेमाल
उल्लेखनीय है कि निजी अस्पतालों में मरीजों से ऑक्सीजन का शुल्क लिया जाता है, जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ऑक्सीजन के लिए शुल्क नहीं लेती हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, डॉ. प्रदीप व्यास ने प्रति दिन सभी अस्पतालों को कितना ऑक्सीजन सिलेंडर दिया जाता है इस पर ध्यान रखने की आवश्यकता जताई है। खाद्य और औषधि प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह राज्य में 65 ऑक्सीजन केंद्रों द्वारा आपूर्ति की जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा और सभी मानदंडों को पूरा करने के लिए निगरानी रखे। जब स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में चिकित्सा ऑक्सीजन का सर्वेक्षण किया तो यह पाया गया कि सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा निजी अस्पतालों में दोगुने से अधिक ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जा रहा है।