मन की शांति के लिए ऑनलाइन कंसर्ट
मुंबई- कोरोना संकट काल के चलते इस वर्ष सदियों से मंचित होने वाले रामलीलाओं का आयोजन नहीं हो पा रहा है. जिससे रामलीला प्रेमियों में निराशा का माहौल है. महानगर में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर, विभिन्न आयोजन समितियों द्वारा अवधी भाषा में रामचरितमानस के आधार पर इनका आयोजन कई दशकों से पीढ़ी दर पीढ़ी से किया जाता रहा है. इसी तरह से गुजराती संस्कृति के सर्वाधिक लोकप्रिय नवरात्रोत्सव ‘डांडिया’ और ‘गरबा’ भी नहीं आयोजित हो पाया है. इसके चलते दर्जनों आर्केस्ट्राओं के हजारों वाद्य कलाकारों का बाजा नहीं बज पा रहा है.
गुजराती गानों के साथ हिंदी फ़िल्मी गानों की धुन पर थिरकने वाले गरबा गायक और गायिकाओं की टीम बेकार बैठी है. डांडिया को लेकर युवाओं में भी निराशा है. हर साल शारदीय नवरात्र में धूम मचाने वाले गायक और संगीतकारों के उम्मीदों पर राज्य सरकार के प्रतिबंध ने पानी फेर दिया है। चूंकि मन की शांति के लिए ऑनलाइन संगीत कार्यक्रमों का आयोजन कहीं कहीं किया गया है लेकिन पर्याप्त दर्शक नहीं होने से वह भी फ्लॉप साबित हुआ है. मुंबई और ठाणे के आसपास 40 से 50 छोटे और बड़े ऑर्केस्ट्रा समूह हैं। नवरात्रि और गणेशोत्सव के दौरान होने वाले आयोजन से लगभग साल भर की कमाई कर लेते हैं। लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण कलाकारों और संगीतकारों के लिए भुखमरी की नौबत आ सकती है. मजबूरन इन्हे परिवार चलाने के लिए अन्य कार्य करने पड़ रहे हैं.
अंधे कलाकारों के लिए चुनौती
गीत संगीत की दुनिया में बड़ी संख्या में दृष्टिहीन कलाकार भी जुड़े हुए हैं. जो इसी तरह के कार्यक्रमों से रोजगार पाते हैं. लेकिन कोरोना के कारण सार्वजनिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन बंद होने से इन अंधे गायकों और संगीतकारों के सामने विकट समस्या पैदा हो गई है।