दिल्ली दंगा (Delhi Riots) मामले में हाई कोर्ट ने बड़ा एक्शन लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों को नोटिस जारी किया है.
फरवरी 2020 के दिल्ली दंगो से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को नोटिस जारी किया है. इनके अलावा भाजपा नेता कपिल मिश्रा, दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, असदुद्दीन ओवैसी सहित कई नेताओं को भी नोटिस जारी किया गया है.
हाईकोर्ट ने परवेश साहिब सिंह वर्मा, मनीष सिसोदिया, हर्ष मंदर, स्वरा भास्कर के साथ साथ बॉबे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी जी कोल्से पाटिल को भी नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने सभी को नोटिस जारी करते हुए 22 मार्च तक अपना जवाब पेश करने के आदेश दिये है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट ने जारी किए गए नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए चार मार्च तक का समय दिया है. कोर्ट ने ये नोटिस एक दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट में दंगा मामले में एक याचिका दाखिल की गई थी.
याचिकाकर्ता ने दंगा भड़काने के मामले में कई राजनेताओं समेत अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी. पिछली सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या ये वही लोग हैं, जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं. कोर्ट ने पूछा था कि ये लोग ही मामले में पक्षकार हैं.
जमीयत उलमा-ए-हिंद व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनुप कुमार मेंदीरत्ता की बेंच ने ये आदेश दिये हैं. याचिका में दंगो के दौरान उत्तेजक भाषण देकर शांति भंग करने के मामले में कानूनी कार्यवाही की मांग कि गयी थी.
याचिका में नेताओं पर आरोप लगाया गया कि दंगो के दोरान उत्तेजक भाषणों के जरिए नफरत फैलाई गयी और दंगों को भड़काया गया. याचिका में घृणास्पद भाषणों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी करने की मांग कि गयी. वही दंगों से निपटने में दिल्ली पुलिस की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने का भी अनुरोध किया गया हैं.
फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगो के दौरान दिये गये नफरती भाषणों को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद सहित आधा दर्जन लोगो ने जनहित याचिकाएं दायर कि थी. मामले पर धीमी सुनवाई का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का भी रूख किया था. जिसके बाद दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को आदेश दिये थे कि वो तीन माह में इन याचिकाओं पर सुनवाई करे.