त्रिकुट पहाड़ के रोपवे में रात भर फंसे 48 पर्यटकों को सकुशल नीचे उतारने के लिए वायु सेना, आर्मी और स्थानीय युवकों ने रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया है। रविवार की शाम हुए हादसे के करीब 23 घंटे बाद अबतक 25 लोगों को केबिन से सुरक्षित निकाल लिया गया है। वहीं छह केबिन में फंसे 23 अन्य लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य अब भी जारी है।
बढ़ते समय के साथ लोगों को बचाने का प्रयास भी तेज हो गया है। सोमवार की शाम करीब 4 बजे त्रिकुट रोप वे पर डीजीपी नीरज सिन्हा, आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल और पर्यटन विभाग के एमडी राहुल कुमार सिन्हा पहुंचे हैं। इन्होंने उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री से बात कर स्थिति का जायजा लिया और विभिन्न दिशा-निर्देश दिए।
दूसरी ओर स्थानीय युवक पन्नालाल ने जमीन की सतह से 50 फीट ऊपर लटक रहे केबिन से चार यात्रियों को रस्सी में कुर्सी बांधकर एक-एक कर नीचे उतारा है। स्थानीय युवकों की पूरी टीम भी रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना के जवानों और एनडीआरएफ की टीम का साथ दे रही है।
घटना पर मुख्यमंत्री ने जताया दुख
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देवघर के त्रिकूट पर्वत के रोपवे का तार टूटने से हुए हादसे पर गहरा दुख जताया है। सोमवार को साहिबगंज रवाना होने से पूर्व रांची एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस हादसे के बाद युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है। एनडीआरएफ और बचाव दल द्वारा लोगों को सकुशल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें विशेषज्ञों की भी सहायता ली जा रही है। इस हादसे पर सरकार की पूरी नजर है। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सरकार द्वारा लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं।
साइट इंचार्ज ने कहा, घटना से हम स्तब्ध
त्रिकुट रोपवे की साइट इंचार्ज विनीता सिन्हा ने हादसे के बाद कहा कि हम इस घटना से स्तब्ध हैं। लोगों को बचाने के लिए पूरे धैर्य से बचाव टीम काम कर रही है। हम फंसे हुए यात्रियों को बचाने में पूरी शिद्दत से लगे हैं। उन्होंने कहा कि रोपवे का केबिन बहुत मजबूत था, इसलिए बड़ा नुकसान नहीं हुआ। भविष्य में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नही होगी, इसके लिए सजगता और बढ़ाएंगे। हम यात्रियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ खड़े हैं, उनकी हर जरूरत में मदद करेंगे।
त्रिकुट पर्वत पर झारखंड का एकमात्र रोपवे
झारखंड का एकमात्र रोपवे देवघर के त्रिकुट पर्वत पर है। इसके माध्यम से यहां आए पर्यटक पर्वत पर जाते हैं। रविवार को रोपवे ने ज्योंही यात्रा प्रारंभ की, इसके टाप लेवल के रोप का सैप टूट गया। रोप वे का संचालन दामोदर वैली कंपनी करती है। इससे सालाना तकरीबन 80 लाख रुपये सरकार को मिलते हैं। रोपवे के शुरू होने पर एक तरफ से 12 केबिन और दूसरी तरफ से 12 केबिन एक साथ चलते हैं। घटना ऊपर से नीचे आने वाले रोपवे के सैप टूटने से हुई है। इससे रोपवे बंद हो गया। हालांकि नीचे से ऊपर की ओर जाने वाला सैप नहीं टूटा था। इस घटना में टाप के दो केबिन के यात्री ज्यादा घायल हैं।