सुप्रीम कोर्ट ने रामनवमी-हनुमान जयंती समारोह के दौरान हालिया सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए एक पूर्व सीजेआई की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उस राहत के लिए मत पूछो जो इस अदालत द्वारा नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को अव्यवहारिक बताया।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। तिवारी ने कहा कि स्थिति चिंताजनक है और केवल एकतरफा जांच चल रही है। वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, “ऐसी किसी राहत की मांग न करें जो इस अदालत द्वारा नहीं दी जा सकती।”
न्यायमूर्ति राव ने याचिकाकर्ता वकील से पूछा, ‘आप भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच चाहते हैं? क्या कोई फ्री है? आप पता लगाएं और हमें बताएं।’ न्यायमूर्ति राव ने कहा, ‘आप किस तरह की राहत मांग रहे हैं? ऐसी राहत की मांग न करें जिसे अदालत नहीं दे सकती।’
याचिका में क्या थी मांग
विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में रामनवमी के दौरान राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात में हुई झड़पों की जांच कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। जनहित याचिका में मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में ‘बुलडोजर जस्टिस’ की मनमानी कार्रवाई की जांच के लिए एक समान समिति गठित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से भेदभावपूर्ण है और लोकतंत्र और कानून के शासन की धारणा में फिट नहीं होती है।
रामनवमी के दौरान छह राज्यों में भड़की थी हिंसा
रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान देश के छह राज्यों में भारी बवाल हुआ था। गुजरात, झारखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में शोभा यात्रा पर उपद्रवियों ने पथराव किया था। इससे हिंसा भड़क उठी। गुजरात में एक की मौत हो गई। दिल्ली के जेएनयू कैंपस में पूजा के दौरान नॉनवेज खाने को लेकर हंगामा हो गया। छात्रों पर उपद्रवियों ने पथराव कर दिया। इसमें कई छात्र-छात्राएं घायल हो गए थे।