कोरोना और बारिश ने उम्मीदों को धोया
मुंबई-पिछले कुछ दिनों में राज्य के अनेक जिलों में हुई मूसलाधार बारिश ने फूलों की खेती करने वाले किसानों और फूल व्यापारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. बरसात ने खेतों में खड़ी गेंदे की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है जिससे किसानों की फूलों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। बरसात से भीगे फूलों को बचाकर दादर के फूल बाजार में भेज तो दिया गया लेकिन गीले फूलों को ग्राहक नहीं मिलने से इन्हे सड़कों पर फेंकना पड़ा. जिसके चलते यहां की फूलगली में हर तरफ गेंदा बिखरा नजर आया. मनपा के उद्यान विभाग ने इन फूलों को धारावी स्थित खाद निर्माण प्रकल्प में भेजकर खाद बनाने का निर्णय लिया है.
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 7 महीने से मंदिरों के बंद होने और त्योहारों के आयोजन पर प्रतिबंध लगने से फूल उत्पादक किसान और व्यापारी काफी निराश थे। शारदीय नवरात्रि में फूलों की मांग की संभावना को देखते हुए व्यापारियों ने फूल मंगाया था लेकिन मंदिरों के बंद होने तथा सार्वजनिक नवरात्रोत्सव पर रोक लगने से फूलों की डिमांड नहीं रही. ग्राहकों की गैर मौजूदगी के चलते दादर के फूल बाजार के बाहर हजारों किलो गेंदा सड़क पर फेंक दिया गया।
सांगली, सतारा और कोल्हापुर से आवक
सांगली, सतारा तथा कोल्हापुर से मुंबई के लिए गेंदा के फूलों की आपूर्ति किया जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन 15 से 20 ट्रेनों से लगभग 5,000 किलो प्रति ट्रेन गेंदा के फूल शनिवार को मुंबई पहुंचे। लेकिन गेंदा गीला होने से दुकानदार ही सामने नहीं आए, इसलिए सभी फूलों को सड़क पर फेंक देना पड़ा। हर साल के मुकाबले इस वर्ष बाजार में मात्र 15 से 20 प्रतिशत ही गेंदा फूल उपलब्ध हैं. ‘दादर फ्लावर बाज़ार के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र हिंगाने ने बताया कि प्रत्येक टोकरे के लिए 80 रूपये के हिसाब से किसानों को प्रत्येक ट्रेन का लगभग 20,000 रुपये खर्च आया जिससे इस साल किसानों और व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है।