रामचरितमानस विवाद में समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. मंगलवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित ऐशबाग थाने में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ FIR दर्ज की गई. स्वामी प्रसाद मौर्य पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया है.
मौर्य के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 295 क (धार्मिक भावनाओं को भड़काना), 298 (धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करना) और 153 क (धार्मिक आस्था पर हमला करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह मुकदमा लखनऊ के बाजार खाला थाना क्षेत्र के ऐशबाग निवासी शिवेन्द्र मिश्र की तहरीर पर दर्ज किया गया है. तहरीर में आरोप लगाया गया है कि गत 22 जनवरी को मौर्य द्वारा मीडिया को दिया गया बयान धार्मिक भावनाओं को आहत करता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. साथ ही राजनीतिक दलों के अलावा हिन्दू संगठन भी स्वामी प्रसाद मौर्य की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ यूपी के अयोध्या में भी तहरीर दी गई है. उधर, संत समाज भी भड़क गया है. संत समाज स्वामी प्रसाद मौर्य पर कार्रवाई की मांग कर रहा है.
अकेले कानपुर में 1 दिन में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ 11 अलग-अलग संगठनों ने पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपे. वहीं पुलिस कमिश्नर ऑफिस में श्रीरामलीला समिति के अध्यक्ष ने स्वामी प्रसाद मौर्या का मुंह काला करने पर 1 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की. श्रीरामलीला समिति शास्त्री नगर के अध्यक्ष सर्वेश शुक्ला ने कहा कि भगवान राम हमारे आराध्य हैं. उनका यह बयान हर हिन्दू के लिए बेहद कष्टदायी है. उन्होंने धार्मिक भावनाएं आहत की हैं.
वहीं, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आज कहा, एक नए नवेले नेता(स्वामी प्रसाद मौर्य) जो कई घाटों का पानी पीकर सपा में गए हैं वहां अखिलेश यादव के भोंपू बने हुए हैं. इन्होंने रामचरितमानस पर जो बयान दिया, उसके बाद अखिलेश यादव का इसपर चुप रहना उत्तर प्रदेश के माहौल को खराब करने का एक प्रयास है.
इस बीच, लखनऊ स्थित ‘लेटे हुए हनुमान’ मंदिर में मौर्य के दाखिले पर पाबंदी लगा दी गई है. मंदिर के बाहर एक बैनर लगाया गया है जिस पर लिखा है, ”अधर्मी स्वामी प्रसाद मौर्य का मंदिर में प्रवेश वर्जित. लेटे हुए हनुमान मंदिर के अध्यक्ष विवेक टांगड़ी ने कहा कि धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. तुलसीदास कृत रामचरितमानस का अपमान करना यह निंदनीय है यह प्रतिबंध हमेशा रहेगा.
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के विवादित बयान के बाद उनके खिलाफ BJP नेताओं का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को प्रयागराज के सुभाष चौराहे पर बीजेपी नेताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया है.
बता कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी रविवार को कहा था, ”धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो, तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं, बल्कि अधर्म है.” उन्होंने आरोप लगाया था, रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है. इससे इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं.” मौर्य ने मांग की थी, ”रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश, जो जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समुदायों का अपमान करते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.”
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, मुझे रामचरित्रमानस से कोई आपत्ति नहीं है,लेकिन रामचरित मानस के कुछ हिस्सों में विशेष जातियों और संप्रदायों को निर्दिष्ट करने वाली अपमानजनक टिप्पणियां और व्यंग्य हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.