1993 मुंबई बम ब्लास्ट के गुनहगार गैंगस्टर अबू सलेम के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 2030 तक गैंगस्टर की रिहाई नहीं हो सकती। अबू सलेम ने 2 मामलों में खुद को मिली उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अबू सलेम ने कोर्ट में अपील की थी कि उनके खिलाफ 25 साल तक किसी सजा का ऐलान नहीं किया जा सकता है, क्योंकि पुर्तगाल से 2002 में उनका प्रत्यर्पण इसी शर्त पर हुआ था।
उन्होंने कहा कि 2002 में प्रत्यर्पण से 25 साल बाद यानी 2027 में रिहाई की जाए। इस पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 2030 से पहले रिहाई नहीं की जाएगी। क्योंकि अबू सलेम को 2005 में प्रत्यर्पित कर पुर्तगाल से भारत लाया गया था। इस हिसाब से 2005 से 25 साल बाद यानी 2030 में रिहा करने का विचार किया जाएगा। तब सरकार सोचेगी कि क्या करना है।
सर्वोच्च न्यायालय ने सलेम की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि, उम्र कैद का फैसला देने वाली कोर्ट प्रत्यर्पण के समय सरकार की तरफ से दूसरे देश से किए गए वादे से बंधी नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि, पुर्तगाल में हिरासत के तीन साल इस सजा का हिस्सा नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि, 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है। 25 साल पूरे होने पर सरकार निर्णय ले।
2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया था
अबू सलेम ने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा कि 2002 की तारीख को आधार बनाया जाय। क्योंकि 2002 में ही मुझे हिरासत में लिया गया था। इसके हिसाब से 25 साल पूरा करने के बाद 2027 में हमें रिहा किया जाए। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि अबू सलेम को 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया था इस हिसाब से 2030 में रिहाई पर सोचा जाएगा। अबू सलेम ने सु्प्रीम कोर्ट से यह भी कहा कि भारत सरकार ने 2002 में पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि उसे न तो फांसी की सजा दी जाएगी, न ही किसी केस में 25 साल से अधिक कैद की सजा होगी।
मुंबई बम ब्लास्ट में 257 लोगों की मौत
12 मार्च 1993 को मुंबई में दो घंटे के अंदर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। जिसमें 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। हमले का मास्टरमाइंड अबू सलेम पुर्तगाल भाग गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अबू सलेम को 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कराया गया। 2017 में मामले में गैंगस्टर अबू सलेम को उसकी भूमिका के लिए कोर्ट ने दोषी ठहराया था। उसे गुजरात से मुंबई हथियार ले जाने का दोषी पाया गया। जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।