गुजरात के मोरबी पुल हादसे पर आज गुजरात हाईकोर्ट ने फिर से मोरबी नगर निकाय को फटकार लगाई है। कोर्ट ने मोरबी नगर निकाय को कहा कि शाम तक जवाब दे या फिर एक लाख रुपए का जुर्माना दे।
गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में मोरबी नगर निकाय से जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक कोर्ट को जवाब नहीं मिला है। बुधवार को गुजरात हाई कोर्ट ने मोरबी नगर पालिका को पुल हादसे के संबंध में दायर जनहित याचिका पर ‘कैजुअल’ रुख बरतने को लेकर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस ए.जे. शास्त्री की प्रथम खंडपीठ ने मोरबी नगर पालिका को जवाब दाखिल नहीं करने के लिए फटकार लगाई।
पुल ढहने के मामले में अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की है। हालांकि अदालत ने 7 नवंबर को मोरबी नगर पालिका को नोटिस जारी कर 14 नवंबर तक जवाब मांगा था, लेकिन मोरबी नगर पालिका जवाब देने में विफल रही। इसके बाद 15 नवंबर को अदालत ने नगर निकाय को एक और दिन का समय दिया लेकिन वह फिर से जवाब दाखिल करने में विफल रही।
गुजरात हाईकोर्ट ने एक दिन पहले (15 नवंबर) भी मोरबी नगर पालिका को जमकर फटकार लगाई थी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था- “नोटिस जारी होने के बावजूद, मोरबी नगर पालिका की तरफ से कोई भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। वे ज्यादा होशियार बन रहे हैं। पहले जवाब देने हाजिर हों।
बुधवार सुबह जब अदालत ने इस मामले पर सुनवाई की तो नगर पालिका के वकील ने बताया कि जवाब दाखिल नहीं किया जा सका, क्योंकि निकाय प्रभारी डिप्टी कलेक्टर चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं। इसपर कोर्ट ने फिर से नगर निकाय को फटकार लगाई। नगर निकाय के वकील ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 नवंबर तक का समय मांगा। लेकिन कोर्ट ने अनुरोध ठुकरा दिया और शाम तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
अब अगर अधिकारी कोर्ट के आदेशों का पालन करते हैं तो शाम तक उम्मीद है मोरबी पुल हादसे पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल हो जाएगी. इस स्टेटस रिपोर्ट से पता चलेगा कि आखिर पुल कैसे गिरा?