सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता को उसकी बात कहने से रोक दिया गया। शंकर लाल शर्मा नाम के याचिकाकर्ता अपनी बात रख रहे थे, तभी जज उन्हें रोकने लगे। शर्मा हाथ जोड़कर अपनी बात कहते रहे। याचिकाकर्ता हिन्दी में दलीलें रख रहे थे और सुनवाई कर रहे दोनों जजों को हिंदी नहीं आती थी। न्यायाधीश ने कहा, इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के पास वकील नहीं था। कोर्ट में वह अपनी दलीलें खुद ही दे रहे थे। जजों ने कहा कि आप जो भी कह रहे हैं हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है। इस कोर्ट की भाषा हिंदी नहीं है। याचिकाकर्ता बोलते रहे, क्योंकि उन्हें अंग्रेजी समझ नहीं आ रही थी। इस पर जज हैरान नजर आने लगे।
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने पाया कि बुजुर्ग याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा यह नहीं समझ नहीं पा रहे हैं कि अदालत क्या कह रही है. इसके बाद, पीठ ने याचिकाकर्ता को विधिक सहायता के लिए एक वकील उपलब्ध कराया.
शर्मा ने अपने मामले की सुनवाई शुरू होते ही हिंदी में दलील पेश करते हुए कहा कि उनका मामला शीर्ष अदालत सहित विभिन्न अदालतों में जा चुका है, लेकिन उन्हें कहीं से भी कोई राहत नहीं मिली है. न्यायमूर्ति जोसेफ ने शर्मा से कहा, ‘हमने मामले से संबंधित फाइल पढ़ी है. यह एक बहुत ही पेचीदा मामला है, लेकिन आप जो कुछ कह रहे हैं, उसे हम समझ नहीं पा रहे हैं.’
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है. अगर आप चाहें तो हम आपको एक वकील उपलब्ध करा सकते हैं जो आपके मामले में बहस करेंगे.’ इस बीच, एक अन्य अदालत में पेश हो रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान उनकी मदद के लिए पहुंची और उन्होंने पीठ द्वारा कही जा रही बातों को अनुवाद कर उन्हें बताया.
शर्मा से बात करने के बाद, दीवान ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता विधिक सहायता के लिए वकील रखने संबंधी शीर्ष अदालत के प्रस्ताव को स्वीकार करने को इच्छुक है. इसके बाद, पीठ ने शर्मा के ठीक पीछे बैठे एक अन्य वकील से पूछा कि क्या वह याचिकाकर्ता की सहायता कर सकते हैं. उनके सहमत होने के बाद, पीठ ने वकील से कहा, ‘उम्मीद है कि आप यह सहायता निशुल्क कर रहे हैं.’
वकील ने कहा, ‘हां, मैं यह सहायता निशुल्क करूंगा.’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर के लिए निर्धारित कर दी और वकील से मामले की फाइल देखने को कहा.