दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच की जंग फिर गर्मा गई है। इस बार का मुद्दा शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षण के लिए जाने का मामला है. इसे लेकर सोमवार को आप संयोजक और दिल्ली सीएम ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और ‘आप’ विधायकों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में एलजी कार्यालय तक मार्च निकाला। आप नेताओं की ओर से इस दौरान आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार के काम-काज में हस्तक्षेप किया जा रहा है।
सीएम केजरीवाल ने इस दौरान कहा- उपराज्यपाल स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते, लेकिन वह ऐसा कर रहे हैं। राजनीतिक कारणों से दिल्ली सरकार के कामों को जानबूझ कर बाधित किया जा रहा है। उपराज्यपाल हमारे प्रधानाध्यापक नहीं हैं जो हमारे होमवर्क की जांच करेंगे। उन्हें हमारे प्रस्तावों पर हां या न कहना है।
केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और ‘आप’ विधायकों को उपराज्यपाल कार्यालय तक मार्च करना पड़ रहा है। मुझे उम्मीद है कि उपराज्यपाल अपनी गलती पर गौर करेंगे और शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षण की अनुमति देंगे।’
मुख्यमंत्री ने पूछा कि अगर निर्वाचित सरकार के पास फैसले लेने का अधिकार नहीं होगा तो वह कैसे काम करेगी। उपराज्यपाल सक्सेना द्वारा ‘अवैध और अवांछित बाधाओं और हस्तक्षेपों’ के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायकों और सत्तारूढ़ ‘आप’ के सदस्यों के बीच जुबानी जंग छिड़ जाने के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
दिल्ली सरकार के शिक्षकों को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए फिनलैंड भेजने पर उपराज्यपाल की ‘आपत्तियों’ का आप विधायकों ने विरोध किया है। दिल्ली एलजी विरोध मार्च में सीएम केजरीवाल ने कहाकि, दिल्ली में शिक्षा क्रांति को रोकने के लिए भाजपा—आप साज़िश रच रहे हैं। दिल्ली को तानाशाही नहीं बल्कि संविधान और जनतंत्र चाहिए। जनता के हक़ के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
दिल्ली सीएम केजरीवाल ने कहाकि, एलजी साहेब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मान रहे और चुनी हुई सरकार के कामकाज में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। मेरी अपील है कि वो संविधान को माने। मैं उन्हें कहूंगा कि वो एक सलाहकार रखें।