7 साल तक राह तकी, अब रिटायर्ड होने का कगार, गृह मंत्री के हस्ताक्षर के बाद भी विभाग का अड़ंगा
मुंबई-पुलिस उप-निरीक्षक के पद के लिए 7 साल पहले परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके 300 से अधिक सिपाहियों को आज भी दरोगा बनने का इंतजार है. सभी अर्हताएं पूरी होने के बावजूद भी 318 पुलिस कांस्टेबल सात साल से पदोन्नति का लंबा इंतजार कर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि परीक्षा पास करने के बावजूद भी पुलिस महानिदेशक कार्यालय पदोन्नति के रास्ते में अड़ंगा बना हुआ है। इसके चलते इन पुलिस कांस्टेबलों में निराशा के साथ असंतोष फैल गया है. इसमें से कई तो सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंच गए हैं। ताजुब्ब की बात तो यह है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख के हस्ताक्षर के बाद भी, डीजीपी कार्यालय मुंबई, सूची जारी करने में आनाकानी कर रहा है।
उपेक्षित सिपाहियों का दल इस बाबत मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री अनिल देशमुख और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सीताराम कुंटे तक के पास अपनी फरियाद लगा चुका है. आरटीआई से मिली जानकारी के बाद सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस महानिदेशक कार्यालय, गृह मंत्री के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं करता है. सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में 29 दिसंबर 2017 को एक परिपत्र जारी किया। 2004 के बाद पदोन्नति स्वीकार करने वाले पिछड़े वर्ग के पुलिस कांस्टेबलों के नामों को छोड़कर, मुंबई पुलिस आयुक्तालय में 318 पुलिस कांस्टेबलों की जानकारी मांगी गई थी। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने 2013 में उप-निरीक्षक के पद के लिए परीक्षा पास करने वाले कांस्टेबलों को बढ़ावा देने के लिए 28 सितंबर को आदेश पर हस्ताक्षर किए। सूत्रों के अनुसार महानिदेशक कार्यालय के स्थापना महानिरीक्षक राजेश प्रधान इस आदेश का क्रियान्वयन नहीं करा सके जबकि गृह मंत्री के आदेश के बाद 29 सितंबर को आदेश जारी किया गया था. आरक्षण का लाभ लेने वाले पुलिस कांस्टेबल को पुलिस उप-निरीक्षक पद पर पदोन्नति के लिए 6 अक्टूबर से पहले आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। बहरहाल 318 पुलिस कांस्टेबलों की जानकारी की उपलब्धता के बावजूद उनकी पदोन्नति एक फिर से रुक गई है।