बेरोजगारी दर बढ़ी, कोरोना से हालत बिगड़ी, वित्त मंत्रालय ने प्रस्तुत की रिपोर्ट
मुंबई-पूरे देश में रोजगार उपलब्ध कराने में अव्वल रहने वाला महाराष्ट्र इस समय आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. राज्य को कोरोना काल के दौरान भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है। इतना ही नहीं राज्य में बेरोजगारी दर बढ़कर 20.9 प्रतिशत हो गयी है। अनलॉक के माध्यम से जनजीवन को पटरी पर लाने के उद्देश्य से खोले गए अनेक सेक्टरों के बाद भी राज्य की बेरोजगारी दर जुलाई में गिरकर 3.9 प्रतिशत हो गई है। सरकार के अनलॉक प्रक्रिया शुरू करने के बावजूद प्रशासन को कई स्थानों पर पुनः लॉकडाउन जारी करने का फैसला करना पड़ा। परिणामस्वरूप अगस्त के अंत में बेरोजगारी की दर फिर से 6.9 प्रतिशत हो गई।
राज्य में आर्थिक स्थिति को लेकर वित्त मंत्रालय ने हाल ही में मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस बैठक में राज्य की अर्थव्यवस्था से लेकर राजस्व घाटे तक के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। राज्य के वित्तीय संकट का कारण राज्य के कम होते जीएसटी रिटर्न को बताया गया।वित्त मंत्रालय की प्रस्तुत रिपोर्ट में सबसे बड़ी चिंता गिरती बेरोजगारी की दर है। ग्रामीण भागों में मनरेगा के तहत काम कम हो गया है. खरीफ फसल के सीजन समाप्त होने से खेती के कामों से भी रोजगार पर असर पड़ा है। लॉकडाउन के बाद अप्रैल में बेरोजगारी बढ़कर 20.9 फीसदी हो गई। मई में यह दर बढ़कर 15.5 प्रतिशत हो गई। पहले अनलॉक के बाद जून में यह दर बढ़कर 9.2 प्रतिशत और जुलाई में 3.9 प्रतिशत हो गई।कुछ शहरों में लॉकडाउन के कारण यह दर बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई। इन्ही कारणों से राज्य की अर्थव्यवस्था एक बड़ी बेरोजगारी संकट का सामना कर रही है।
प्रस्तुत वित्त रिपोर्ट के अन्य मुद्दे
राज्य के वित्तीय संकट को राज्य के गिरते जीएसटी रिटर्न ने बढ़ा दिया. बेरोजगारी और नौकरी जाने का नुकसान महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ी समस्या है. उद्योग और सेवा क्षेत्र अभी भी मुश्किल में है. उन्हें इस संकट से बाहर आने में समय लगेगा। लेकिन कृषि क्षेत्र पर कोई बड़ा असर होता नहीं दिख रहा है. आशा की गई है कि अक्टूबर और नवंबर में त्योहार अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद करेंगे।