मुम्बई। अभिनेत्री कंगना रनौत की बेबाकी से रुष्ट शिवसेना प्रमुख संजय राउत ने कंगना के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर दिया था। कंगना रनौत ने भी मुंबई की तुलना पीओके से किये जाने पर शिवसेना से उनकी खुली झड़प हो गयी थी। जिसके कारण महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कंगना को मुंबई आने से मना कर दिया था। लेकिन कंगना ने भी खुले तौर पर कहा कि वह नव सितंबर को मुंबई आ रही है जिसे जो उखाड़ना है उखाड़ ले। इस बयान बाजी के बाद जब कंगना रनौत मुम्बई आने के लिए रवाना हुई तो बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को अवैध घोषित कर चौबीस घंटों की चेतावनी देकर कंगना रनौत के मुम्बई आने से पहले उनके दफ्तर में तोड़ फोड़ कर दी। जिससे महाराष्ट्र सरकार और कंगना रनौत के बीच विवाद गहरा गया।
जवाबी कार्यवाही करते कंगना ने बॉम्बे हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज की उनकी गैरमौजूदगी में उनका दफ्तर तोड़ दिया गया उनको अपनी सफाई में कहने का मौका नहीं दिया गया साथ ही मनीष मल्होत्रा को सात दिन और उन्हें उसी दिन केवल चौबीस घंटों की मोहलत दी गयी थी। यह शिवसेना के खिलाफ बयानबाजी के कारण दुश्मनी निकालने के लिए की यह कार्य किया गया। इस मामले पर हाइकोर्ट ने बीएमसी से जवाब मांगा था जिसपर बीएमसी ने जवाब के लिए वक़्त मांगा इस पर हाइकोर्ट ने कहा कि मानसून के सीजन में इस तरह मकान तोड़ना सही नहीं है। तोड़ने में वक़्त नहीं लगा तो जवाब के लिए समय क्यों मांगा जा रहा है। बीएमसी की इस कार्यप्रणाली के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी को लताड़ लगाई है और जल्द से जल्द जवाब मांगा है।