प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अप्रैल 2022 को राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम के 5वें संस्करण में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के साथ संवाद किया, उन्हें संबोधित किया. जिसके लिए लगभग 15.7 लाख प्रतिभागियों रजिस्ट्रेशन कराया था.
पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण के चलते यह प्रोग्राम ऑनलाइन किया गया था. हालांकि इस बार भी ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन मोड में इस प्रोग्राम का हिस्सा बने. तालकटोरा स्टेडियम में विभिन्न स्कूलों से आए करीब 1000 विद्यार्थी, उनके अभिभावक और शिक्षक उपस्थित रहे.
इसके अलावा देशभर के शिक्षण संस्थानों में ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम का लाइव प्रसारण हुआ और वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विद्यार्थी, अभिभावक और शिक्षक इससे जुड़े. प्रधानमंत्री ने शिक्षा, नौकरी, समाज, राजनीति, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया और छात्र-छात्राओं द्वारा ऐसे ही कई अलग-अलग मुद्दों पर पूछे गए सवालों का जवाब दिया.
यहां देखें 10 जरूरी बातें
1. प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, गैजेट्स और गेमिंग के एडिक्शन पर बच्चों से कहा, दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे. आज हम डिजिटल गैजेट्स के माध्यम से बड़ी आसानी से और व्यापक रूप से चीजों को प्राप्त कर सकते हैं. हमें इसे एक अपॉर्च्युनिटी मानना चाहिए, न कि समस्या.
2. प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का जिक्र करते हुए कहा कि हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए. अगर हम अपनी नीतियों को समय के अनुसार बदलेंगे नहीं, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे. पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था. लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है. हम खेलेंगे तभी खिलेंगे.
3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं सबसे पहले परिजनों से और शिक्षकों से कहना चाहूंगा कि आप अपने सपने, जिन्हें आप पूरा नहीं कर पाए, उन्हें बच्चों पर थोपने का प्रयास न करें. हमारे बच्चों के विकास में यह बहुत बड़ी बाधा है. हर बच्चे की अपनी सामर्थ्य होती है. परिजनों, शिक्षकों के तराजू में वह फिट हो या न हो, लेकिन ईश्वर ने उसे किसी न किसी विशेष ताकत के साथ भेजा है. ये आपकी कमी है कि आप उसकी सामर्थ, उसके सपनों को समझ नहीं पा रहे हैं. आप अपने बच्चे की शक्ति, सीमाओं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास करें.
4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निराशा को कैसे दूर करें, इस पर कहा, मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है. खुद को जानना, अपन मन: स्थिति का विश्लेषण करना बहुत जरूरी है. कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें पहचानिए और खुद से उनको अलग करिए. फिर आप यह जानने का प्रयास करें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं, उन्हें अपने पास रखें. लोगों कि सहानुभूति लेने से बचें, इससे कमजोरी आती है. आप 2 साल के बच्चे से भी प्रेरणा ले सकते हैं. दिव्यांगों से प्रेरणा ले सकते हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया है.
5. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हर विद्यार्थी को लगता है कि मुझे याद नहीं रहता है, मैं चीजें भूल गया. लेकिन आप देखेंगे कि एग्जाम के समय अचानक ऐसी चीजें निकलने लगेंगी कि आप सोचेंगे, मैनें तो कभी इस विषय को छुआ तक नहीं था. अचानक सवाल आ गया और आपका जवाब भी बहुत अच्छा रहा. ध्यान लगाना बहुत सरल है. ध्यान को अक्सर ऋषि-मुनियों के साथ जोड़ दिया जाता है. आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश करें, यही ध्यान लगाना होता है. ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है. जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसे भविष्य में प्रश्नों का सामना नहीं करना पड़ता है.
6. प्रधानमंत्री मोदी ने विद्यार्थियों से कहा, कॉम्पिटिशन को हमें जीवन की सबसे बड़ी सौगात मानना चाहिए. अगर कॉम्पिटिशन ही नहीं है तो जिंदगी कैसी? सच में तो हमें कॉम्पिटिशन को इनवाइट करना चाहिए, तभी तो हमारी कसौटी होती है. कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अहम माध्यम होता है, जिससे हम अपना इवैल्यूएशन भी कर सकते हैं. सिर्फ परीक्षा के लिए दिमाग खपाने के बजाए, खुद को योग्य, शिक्षित व्यक्ति बनाने के लिए, विषय का मास्टर बनने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए. फिर परिणाम जो मिलेगा, सो मिलेगा.
7. नारी शक्ति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, जो समाज अपनी बेटियों को पीछे छोड़ देता है, वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता. पहले के समय में जब शिक्षा की बात आती थी तो मां बाप सोचते थे कि बेटे को पढ़ाना चाहिए, बेटी को पढ़ाकर क्या करना है. वह तो ससुराल जाएगी और जिंदगी का गुजारा कर लेगी. मैंने यह भी देखा है कि बेटे सुख-चैन की जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन मां-बाप वृद्धाश्रम में जीवन काट रहे हैं. मैंने ऐसी कई बेटियां देखी हैं, जिन्होंने मां-बाप के सुख और उनकी सेवा के लिए शादी तक नहीं की और अपनी पूरी जिंदगी खपा दी. आज खेलकूल, विज्ञान, रक्षा, कला, साहित्य हर क्षेत्र में बेटियां भारत का नाम रोशन कर रही हैं. आज हर परिवार के लिए बेटियां बहुत बड़ी शक्ति बन गई हैं. यह बदलाव बहुत अच्छा है. यह जितना ज्यादा होगा, उतना लाभ होगा.
8. प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यावरण के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि हमें दुनिया में P3 Movement चलाने की जरूरत है. Pro-Planet-People Movement. इस P3 Movement से जितने ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ेंगे, हमें उतना लाभ मिलेगा. उन्होंने स्वच्छ भारत का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे इस सपने को चार चांद लगाने का काम देश के बालक-बालिकाओं ने किया है. स्वच्छता की इस यात्रा में आज हम जहां पहुंचे हैं, उसका सबसे ज्यादा क्रेडिट मैं बालक-बालिकाओं को देता हूं. ऐसे कई बच्चे हैं, जिन्होंने कई बार अपने परिजनों को इधर-उधर कूड़ा फेंकने पर टोका है. यह बदलाव ही भारत को स्वच्छता को लेकर जागरूक बना रहा है.
9. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए कहा, जब हमने अपने बुजुर्गों, वयस्कों, युवाओं और स्कूली बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया, तो सबने बड़ी तेजी के साथ आगे आकर अपना टीकाकरण कराया. यह अपने आप में बड़ी घटना है. हिंदुस्तान के लोगों ने अपने कर्तव्य का पालन किया. नागरिकों द्वारा यही कर्तव्य पालन आज देश की आन-बान-शान बढ़ाने का कारण बन गया है. जब आप अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो किसी के अधिकारों की रक्षा हो रही होती है.
10. विद्यार्थियों के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह उनके सभी सवालों को हल करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन उनके ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों के समाधान के लिए अलग-अलग चैनल बनाएंगे. उन्होंने कहा, “या तो वीडियो, ऑडियो, लिखित फैक्स या नमो ऐप के जरिए, मैं आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करूंगा, ताकि कोई भी छात्र लंबे समय तक अपने संदेह के साथ न रहे.”